अहमदाबाद। गुजरात की कुपोषण की समस्या चांदपुरा वायरस फैलने का बड़ा कारण है। गुजराज में कुपोषण के कारण पिछले कुछ वर्षों से बच्चों में चांदीपुरा रोग के मामले बढ़े हैं।
केंद्र सरकार की रिपोर्ट में कहा गया है कि कुपोषण के मामले में गुजरात देश में चौथे स्थान पर है, इसलिए चांदीपुरा वायरस का खतरा गुजरात में ज्यादा है। भविष्य में यह बीमारी खतरनाक रूप ले सकती है। गुजरात सरकार कुपोषण से निपटने की बात तो करती है, लेकिन ठोस कदम नहीं उठाती। कुपोषण की समस्या के समाधान के लिए हर साल करोड़ों रुपए खर्च किये जाते हैं, लेकिन कुपोषित बच्चों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। हालांकि राज्य सरकार ने कुपोषण की समस्या के समाधान के लिए 2023-24 के बजट में 5500 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं, लेकिन यह समस्या अभी भी बनी हुई है।
गुजरात में गर्भवती महिलाओं में कुपोषण की दर भी बहुत अधिक है, इसलिए गुजरात में नवजात शिशुओं की मृत्यु दर भी बढ़ रही है। केंद्र सरकार ने दिसंबर 2023 में लोकसभा में जानकारी दी कि नवजात शिशुओं को न्युट्रीशन रिहेबिलिटेशन सेंटर में भर्ती करने के मामले में गुजरात देश में दूसरे स्थान पर है। गुजरात में हर साल 30 हजार से ज्यादा बच्चों की मौत कुपोषण से होती है। फरवरी 2024 में विधानसभा के शीतकालीन सत्र में गुजरात सरकार ने माना था कि गुजरात में 5.70 लाख से ज्यादा बच्चे कुपोषण के शिकार हैं।
राज्य सरकार ने माना कि गुजरात में कुपोषण की समस्या से निपटने के लिए जरूरी काम नहीं हो पा रहे हैं। गुजरात में इस समय खतरनाक होते जा रहे चांदीपुरा वायरस ने ढाई से तीन दर्जन बच्चों की जान ले ली है और कई बच्चों का अभी भी इलाज चल रहा है। चांदीपुरा वायरस ने पहले भी गुजरात में 17 लोगों की जान ले ली है। 2010 में गुजरात में चांदीपुरा वायरस के 29 मामले सामने आए थे, इनमें से 17 लोगों की मौत हो गई थी। खेड़ा में सामने आए 18 मामलों में से 6 लोगों की मौत हो गई, जबकि पंचमहाल में 9 मामले सामने आए और सभी 9 की मौत हो गई। वडोदरा जिले में भी चांदीपुरा वायरस से पीड़ित दो लोगों की मौत हो गई है।