सूरत। युगप्रधान आचार्य महाश्रमण महावीर यूनिवर्सिटी में बने महावीर समवसरण में चातुर्मास प्रवास पर हैं। इस दौरान श्रद्धालुओं की भारी भीड़ लग रही है। शहर के कोने-कोने से श्रद्धालु महाश्रमण का दर्शन करने और उनका प्रवचन सुनने आ रहे हैं। इस दौरान महाश्रमण ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि हमारे जीवन में ज्ञान व शिक्षा का महत्वपूर्ण स्थान है। शिक्षा दो प्रकार की होती है, लौकिक और आध्यात्मिक। तात्विक दृष्टि से ज्ञान के दो प्रकार हैं- क्षायिक व क्षयोपशमिक। ज्ञान की पूर्ण प्राप्ति, केवल ज्ञान की प्राप्ति व कर्मों के पूर्ण विलय से क्षायिक ज्ञान होता है तथा आंशिक ज्ञान क्षयोपशम से हो सकता है। ज्ञान अपने आप में पवित्र है। ज्ञान का कोई अंत नहीं है। कोई सौ वर्षों तक पढ़ता रहे तो ज्ञान पूर्ण नहीं होता। ज्ञान प्राप्ति के लिए विनय का होना जरूरी है। ज्ञान प्राप्ति के लिए जरूरी है की देने वाला विशेषज्ञ हो, ज्ञानी हो और लेने वाला भी योग्य हो। जो ज्ञान पिपासु होता है वही ज्ञान को प्राप्त कर सकता है। व्यक्ति ऐसा ज्ञान प्राप्त करे जो जीवन के लिए उपयोगी हो। ज्ञान अनंत है और काल सीमित, उसमें विघ्न बाधाएं भी आ जाती हैं। सारभूत ज्ञान को ग्रहण कर लेना चाहिए। जैसे हंस केवल दूध और पानी में दूध ग्रहण करता है उसी प्रकार केवल सारभूत ज्ञान को ग्रहण करना चाहिए। मौजूदा समय में ज्ञान प्राप्ति के लिए आधुनिक तकनीक का भी तेजी से विकास हुआ है, लेकिन इस तकनीक का दुरूपयोग नहीं होना चाहिए।
इस अवसर पर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के सलाहकार अजय भूतोडिया विशेष रूप से उपस्थित रहे। बाबूलाल भोगर, अनिल बोथरा, निर्मल चपलोत, गौतम आंचलिया, सोनू बाफना, प्रदीप गंग, विमल लोढ़ा, लक्ष्मीलाल गोखरू, फूलचंद चत्रावत, राजेश सुराणा, कनक बरमेचा, गणपत भंसाली, चंपकभाई, प्रवीण भाई, अर्जुन मेडतवाल, शैलेष झवेरी, राजा बाबू मौजूद रहे। इस दौरान दिव्य भास्कर के संपादक मृगांक और दैनिक भास्कर के संपादक मुकेश शर्मा ने दिव्य भास्कर की प्रति महाश्रमण को भेंट की।