Wednesday, April 30, 2025
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आचार्य महाश्रमण ने भगवान महावीर यूनिवर्सिटी में बने महावीर समवसरण में चातुर्मास प्रवेश किया

सूरत। युगप्रधान आचार्य महाश्रमण जी का सोमवार को भगवान महावीर यूनिवर्सिटी में चातुर्मास प्रवेश हुआ। महाश्रमणजी ने सुबह श्रमण-श्रमणियों के साथ सिटी लाइट, तेरापंथ भवन से विहार प्रारंभ किया, जिसमें भारी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए।
युगप्रधान आचार्य महाश्रमण की अमृतवाणी सुनने के लिए भारी भीड़ जमा हुई। इस दौरान प्रदेश के गृह राज्यमंत्री हर्ष संघवी विशेष रूप से मौजूद रहे। गृह राज्यमंत्री हर्ष संघवी ने सोशल मीडिया(X) पर पोस्ट करते हुए लिखा- सूरत के वेसू में परम पूज्य आचार्य श्री महाश्रमणजी महाराज सा. के चातुर्मास प्रवेश के शुभ अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में सम्मिलित होकर आशीर्वाद प्राप्त करते हुए, अलौकिक संत वाणी सुनने का सौभाग्य मिला।

भगवान महावीर यूनिवर्सिटी के पास बने संयम विहार में महावीर समवसरण में चातुर्मास प्रवेश के पहले दिन आचार्य महाश्रमण ने जैन धर्म के पवित्र ग्रंथ आगम के दश वैकालिक सूत्र का उल्लेख करते हुए कहा कि संसार में कोई मंगल है तो वह धर्म है। अरिहंत मंगल है, सिद्ध मंगल है, साधु मंगल है लेकिन धर्म उत्कृष्ट मंगल है। धर्म कारण मंगल है। शेष तीनों कार्य मंगल हैं। मूल तत्व धर्म है। शास्त्रों में धर्म का ऐसा कोई विशेष नाम निर्दिष्ट नहीं है बल्कि उसे सच्चा धर्म कहा गया है जिसमें अहिंसा, संयम और तप है। अहिंसा, तप और संयम के अतिरिक्त कोई धर्म नहीं बचता। जो सदैव इस प्रकार के धर्म का आचरण करता है, उसे देवता भी नमस्कार करते हैं।
महाश्रमणजी ने कहा कि हमने आज तक कई चातुर्मास किए हैं, लेकिन भगवान महावीर के नाम से बने किसी विश्वविद्यालय में यह पहला चातुर्मास है। विद्याभूमि का अपने आप में एक अलग स्थान, एक अलग महत्व है। यहां के विश्वविद्यालय का नाम भगवान महावीर से जुड़ा है। यहां के प्रवचन पंडाल का नाम भी महावीर समवसरण है और हमारे साथ जो मुख्य मुनि हैं उनका नाम भी महावीर मुनि है। यहां कई साधु साध्वियां पहुंच चुके हैं। आशा है कि जैन और अजैन सभी को योग मिलेगा और सभी अपनी-अपनी सुविधा के अनुसार व्याख्यान सुनने का प्रयास करेंगे।
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