अहमदाबाद। हाईकोर्ट ने साबरमती नदी में प्रदूषण पर स्वत: संज्ञान जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान अहमदाबाद नगर निगम के अधिकारियों, विशेषकर नगर आयुक्त को फटकार लगाई। मुख्य न्यायाधीश सुनीता अग्रवाल और न्यायमूर्ति प्रणव त्रिवेदी की पीठ ने निगम द्वारा प्रस्तुत ब्लूप्रिंट और अमुको के गैर-जिम्मेदार और गैर-गंभीर रवैये पर गहरी नाराजगी व्यक्त की और कहा कि हमें आश्वासन नहीं, ठोक काम करके दिखाओ। हाईकोर्ट ने कहा कि हमें हर बार आपकी क्लास लेनी पड़ती है। एएमयूसीओ से निरीक्षण रिपोर्ट मांगी और एएमयूसीओ आयुक्त को व्यक्तिगत रूप से मामले की निगरानी करने को कहा है।
हाई कोर्ट ने अमुको कमिश्नर से सूएज ट्रीटमेंट प्लांट, टास्क फोर्स इंस्पेक्शन समेत मुद्दों पर रिपोर्ट के साथ विस्तृत जवाब मांगा और 8 अगस्त तक हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है। साबरमती नदी में प्रदूषण और गंदगी के मामले में हाईकोर्ट ने दायर स्वत: संज्ञान जनहित रिट याचिका में पिछली पांच-छह सुनवाई के दौरान अहमदाबाद नगर निगम और नगर निगम आयुक्त को कड़ी फटकार है, फिर भी ऐसा लगता है कि अमुको के रवैये में कोई बदलाव नहीं आया है।
हाईकोर्ट ने अमुको के वकील और नगर निगम आयुक्त से साफ शब्दों में कहा कि या तो आप यह नहीं समझ पा रहे है कि कोर्ट क्या कहना चाहता है अथवा आप निष्ठापूर्वक काम नहीं करना चाहते हैं।
कोर्ट सहायक हेमांग शाह द्वारा जीपीसीबी के हलफनामे और अमुको के हलफनामे में विरोधाभासों की ओर अदालत का ध्यान आकर्षित करने पर हाईकोर्ट ने गंभीर सवाल उठाए। हाईकोर्ट ने एएमयूसीओ अधिकारियों पर कटाक्ष करते हुए कहा, आप कोर्ट द्वारा तय की गई सुनवाई की तारीख से तीन-चार दिन पहले हलफनामा तैयार करते हो और तब से काम करना शुरू करते हो।
ऐसा लगता है कि साबरमती नदी को प्रदूषित करने में आपकी कोई दिलचस्पी या गंभीरता नहीं है। दरअसल, हम वह काम कर रहे हैं जो नगर आयुक्त को करना चाहिए। आपके दस्तावेज में लिखे शब्दों, झूठे आंकड़ों और खोखले दावों से साफ है कि आप अभी भी इस मामले को लेकर गंभीर नहीं हैं।
कोर्ट सहायक हेमांग शाह ने कोर्ट का ध्यान एक बहुत ही महत्वपूर्ण बिंदु की ओर आकर्षित किया कि साबरमती नदी का पानी गंदा, प्रदूषित और हरे रंग का हो गया है। इसकी पर्याप्त सफाई या रखरखाव नहीं हो रही है। जिसके कारण नदी में असंख्य मछलियां मर रही हैं। एएमयूसीओ अधिकारी नदी में पांच-सात स्थानों पर ऑक्सीजन टैंक के माध्यम से ऑक्सीजन छोड़ कर मछलियों को बचाने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन यह एक वेंटिलेटर की तरह है। साबरमती नदी इतनी बड़ी और लंबी है कि इसमें पांच ऑक्सीजन टैंक कितने कारगर होंगे? दरअसल साबरमती नदी की सफाई और स्वच्छता बहुत जरूरी है और यह काम चरणबद्ध तरीके से ही संभव हो सकेगा।