सूरत। बारिश के सीजन में गुजरात मिनरल्स डेवलपमेंट काॅर्पोरेशन(जीएमडीसी) की कोयले की खानें बंद रहने से सूरत की टेक्सटाइल मिलों को भारी परेशानी होती है। मिलों में इंडोनेशिया से कोयला आयात किया जाता रहा है। इस वजह से कोयले के दाम दो से तीन गुना बढ़ जाते हैं। साउथ गुजरात टेक्सटाइल प्रोसेसर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष जीतू बखारिया ने मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल और जीएमडीसी के एमडी से बारिश के सीजन में सूरत की मिलों में कोयले की सप्लाई करने की सिफारिश की थी। इसे ध्यान में रखते हुए जीएमडीसी ने इस साल जून, जुलाई और अगस्त में कोयले की खानों से माइनिंग किए गए कोयले की सप्लाई करने की योजना बनाई है। इससे सूरत की टेक्सटाइल मिलों को फायदा होगा और सस्ते में कोयला भी मिलेगा।
एक टन कोयले का भाव 4500 से 8000 रुपए है जो बारिश के सीजन में बढ़कर 8000 से 1200 रुपए हो जाता है। सूरत शहर और देहात में 400 से अधिक टेक्सटाइल मिल हैं। इन मिलों को हर साल बारिश के सीजन में कोयले के संकट से जूझना पड़ता है। टेक्सटाइल प्रोसेसर्स एसोसिएशन की सिफारिश पर जीएमडीसी ने तड़केश्वर की खानों से 3.21 टन कोयले की माइनिंग करके रखा है। राज्य सरकार की ओर से तड़केश्वर से कोयले की सप्लाई करने की पूरी व्यवस्था की गई है। यहां की सड़कों को पहले ही दुरुस्त कर लिया गया, ताकि वाहनों को आने-जाने में परेशानी न हो।