Tuesday, March 18, 2025
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ईडी को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आरोपी को गिरफ्तार करने के लिए अदालत से अनुमति लेनी होगी: सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) की धारा 44 के तहत अगर अदालत ने शिकायत पर स्वत: संज्ञान ले लिया है तो ईडी आराेपी को गिरफ्तार नहीं कर सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर ईडी को किसी व्यक्ति को हिरासत में लेना बहुत जरूरी हो तो पहले उसे अदालत में आवेदन देना होगा। आवेदन से संतुष्ट होने के बाद ही कोर्ट आरोपी को हिरासत में लेने का अादेश दे सकती है।
जस्टिस अभय एस ओका और उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि अगर आरोपी समन का पालन करने के लिए विशेष अदालत में पेश हुआ है, तो यह नहीं माना जा सकता कि वह हिरासत में है। सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि यदि आरोपी समन के बाद अदालत में पेश हुआ है, तो उसे जमानत के लिए आवेदन करने की आवश्यकता नहीं है और पीएमएलए अधिनियम की धारा 45 की दोहरी शर्तें उस पर लागू नहीं होंगी।
बेंच ने कहा कि आरोपी को अदालत द्वारा समन भेजा जा सकता है, लेकिन उसे अपनी रिहाई के लिए जमानत की शर्तों को पूरा करना होगा। अगर शिकायत दर्ज होने तक ईडी आरोपी को गिरफ्तार नहीं करती है, तो अदालत को धारा 44 के तहत शिकायत पर स्वत: संज्ञान लेना चाहिए और आरोपी को वारंट नहीं, बल्कि समन जारी करना चाहिए। जस्टिस ओका ने कहा कि शिकायत पर सुनवाई करते समय कोर्ट केवल तभी हिरासत की मंजूरी दे सकती है जब वह संतुष्ट हो कि हिासत में पूछताछ जरूरी है। भले ही आरोपी को धारा 19 के तहत गिरफ्तार न किया गया हो।

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