मुंबई। सामाजिक कार्यकर्ता नरेंद्र डाभोलकर हत्याकांड में पुणे की एक विशेष अदालत ने पांच आरोपियों में से दो को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है, जबकि तीन को बरी कर दिया है। नरेंद्र डाभोलकर महाराष्ट्र में अंध विश्वास के खिलाफ आंदोलन चलाते थे। 20 अगस्त 2013 को पुणे के आेंकारेश्वर ब्रिज पर तड़के गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गई थी। पुलिस ने इस मामले में पांच लोगों को आरोपी बनाया था। 2014 में हत्याकांड की जांच सीबीआई को सौंपी गई थी। हत्याकांड के 11 साल बाद पुणे की एक विशेष अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए तीन आरोपियों डॉ. वीरेन्द्र सिंह तावड़े, वकील संजीव पुनालेकर और उनके सहयोग विक्रम भावे को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। जबकि सचिन अंदुरे और शरद कालस्कर को आजीवन कारावास की सजा और 5-5 लाख जुर्माना लगाया है। वहीं, अभियोजन पक्ष के वकील ने कहा कि इस फैसले को बांबे हाईकोर्ट अौर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे।