सूरत। साल 2006 में तापी में आई बाढ़ में दो ऊदबिलाव बहते हुए अमरोली पहुंच गए थे। उन्हें सरथाणा नेचर पार्क में रखा गया था। सूरत के चिड़ियाघर में ऊदबिलाव के जोड़ों से उनका कुनबा बढ़कर 43 तक पहुंच गया। सूरत के ऊदबिलाव की देशभर के चिड़ियाघरों में भारी मांग है। पिछले 8 साल में 17 ऊदबिलाव अलग-अलग चिड़ियाघरों को दिए जा चुके हैं। उसके बदले सूरत के चिड़ियाघर में सफेद बाघ, शेर, भालू समेत 63 पशु लाए गए हैं। चिड़ियाघरों में पशु-पक्षियों की अदला-बदली होती रहती है। इसी के अंतर्गत सूरत के ऊदबिलाव के बदले दूसरे चिड़ियाघरों से तोता, साही, नीलगाय लाए गए। इसके बाद 2020-21 में ऊदबिलाव के बदले रायपुर से दो शेर लाए गए। 2021-22 में राजकोट से दो ऊदबिलाव के बदले दो सफेद बाघ, दो सुनहरे तीतर, दो भेड़िए लाए गए। सूरत के चिड़ियाघर में ऊदबिलाव के लिए 7 पिंजरे बनाए गए हैं।
ऊदबिलाव की प्रजाति खत्म होने की कगार पर है
ऊदबिलाव एक उभयचर(जल और थल पर रहने वाला) मांसाहारी स्तनधारी प्राणी है। दुनियाभर में ऊदबिलाव की कुल 13 प्रजातियां हैं, जो खत्म होने की कगार पर हैं। इसकी कुछ प्रजातियां पानी में ज्यादा समय बिताती हैं। मछली, मेंढक और केकड़ा इनका मुख्य भोजन है। ऊदबिलाव नेवले के आकार का होता है और बहुत ही चंचल जानवर है। इसके आगे के पैर पिछले पैरों से छोटे होते हैं जो पानी में तैरने में मदद करते हैं। अगस्त से दिसंबर तक इनका प्रजननकाल होता है। ये एक साथ कई बच्चे पैदा करते हैं। इनका औसत जीवन 15 से 20 तक होता है।