नई दिल्ली। शुक्रवार, 9 मई, 2025 को वाशिंगटन में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) द्वारा पाकिस्तान को 1.3 बिलियन डॉलर के बेलआउट पैकेज का प्रस्ताव दिया गया। हालांकि, भारत ने इस पर मतदान से दूर रहकर विरोध जताया है। बैठक के दौरान भारत ने चिंता व्यक्त की कि पाकिस्तान को दी जाने वाली वित्तीय सहायता अप्रत्यक्ष रूप से आतंकवादी संगठनों को मदद पहुंचाती है। इसके अलावा भारत ने आईएमएफ की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि पाकिस्तान को बार-बार वित्तीय सहायता देने के कारण वह आईएमएफ के लिए ‘बहुत बड़ा’ कर्जदार बन गया है।
भारत ने आईएमएफ द्वारा पाकिस्तान को प्रस्तावित 1.3 बिलियन डॉलर के बेलआउट पैकेज पर मतदान से परहेज किया। भारत ने इसके लिए इस्लामाबाद के वित्तीय सहायता के उपयोग में खराब रिकॉर्ड को जिम्मेदार ठहराया है। यह फैसला ऐसे समय आया है जब भारत और पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण स्थिति है।
आज, 9 मई को वाशिंगटन में आयोजित आईएमएफ बोर्ड की बैठक में भारत ने आईएमएफ सहायता की शर्तों को पूरा करने में पाकिस्तान की विफलता पर बार-बार चिंता व्यक्त की। भारत ने आईएमएफ की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि पाकिस्तान को आईएमएफ सहायता प्रदान करने में राजनीतिक कारक भी भूमिका निभाते हैं।
जानकारी के अनुसार भारत ने यह भी कहा कि पाकिस्तान को दी जाने वाली वित्तीय सहायता से अप्रत्यक्ष रूप से उसकी खुफिया एजेंसियों और लश्कर-ए-तैयबा तथा जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकवादी संगठनों को मदद मिलती है, जो भारत पर हमले कर रहे हैं। जब भारत ने आईएमएफ मतदान में भाग नहीं लिया, तो इसे आईएमएफ और अन्य बहुपक्षीय वित्तीय संस्थाओं को यह संदेश देने के रूप में देखा गया कि ठोस कदम उठाए बिना पाकिस्तान को वित्तीय सहायता प्रदान करना क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए खतरनाक हो सकता है।