नई दिल्ली। भारतीय नौसेना ने अरब सागर में, विशेष रूप से भारत के विशिष्ट आर्थिक क्षेत्रों में अपने अभ्यास बढ़ा दिए हैं। इन अभ्यासों का उद्देश्य क्षेत्र में परिचालन तैयारियों का परीक्षण करना और सुरक्षा को मजबूत करना है। नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश त्रिपाठी ने इस युद्धाभ्यास को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ एक घंटे तक बैठक की, जिसमें उन्होंने नौसेना की मौजूदा तैयारियों और गतिविधियों के बारे में उन्हें जानकारी दी।
जहां भारतीय नौसेना परिचालन तत्परता का परीक्षण करने और सुरक्षा को मजबूत करने के लिए अभ्यास कर रही है, वहीं नौसेना ने युद्ध अभ्यास के दौरान पोरबंदर के पास कई लाइव फायरिंग अभ्यास भी किए हैं। यह अभ्यास शनिवार, 3 मई, 2025 को शुरू हुआ और 7 मई तक चलेगा। इसमें एंटी-शिप और एंटी-फायरक्राफ्ट फायरिंग भी शामिल है। क्षेत्र में किसी भी तरह की हलचल से निपटने के लिए नौसेना के युद्धपोत पूरी तरह अलर्ट पर हैं।
जबकि भारतीय नौसेना के जहाज भी अंतरराष्ट्रीय समुद्री सीमा के पास गुजरात के तटीय इलाकों में तैनात किए गए हैं। इसके अलावा, भारतीय नौसेना ने किसी भी अप्रिय घटना से निपटने के लिए क्षेत्र में अपनी स्थिति को और मजबूत कर लिया है।
बता दें, पाकिस्तान ने पिछले एक सप्ताह में चौथी बार नौसैन्य मिसाइल का प्रक्षेपण किया, लेकिन पिछले तीन मौकों पर उसने मिसाइल का प्रक्षेपण नहीं किया था। भारतीय नौसेना स्थिति पर नजर रख रही है और किसी भी गतिविधि पर तुरंत प्रतिक्रिया देने के लिए तैयार है।
इस अभ्यास का मुख्य उद्देश्य समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित करना तथा संभावित खतरों का समय पर जवाब देने की नौसेना की क्षमता का परीक्षण करना है। ताकि नौसेना किसी भी स्थिति में दुश्मन को बेहतर जवाब दे सके।