नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले को लेकर केंद्र सरकार ने कुछ अहम कदम उठाए हैं। बुधवार को पाकिस्तान के खिलाफ पांच बड़े फैसले लेने के बाद गुरुवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर और गृह मंत्री अमित शाह राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मिलने पहुंचे। सुरक्षा स्थिति की गंभीरता और आगामी रणनीतियों पर चर्चा को देखते हुए इस उच्च स्तरीय बैठक को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इसके बाद आज शाम एक सर्वदलीय बैठक बुलाई गई। जिसकी अध्यक्षता रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की।
सर्वदलीय बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, विदेश मंत्री एस जयशंकर, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, संसदीय कार्य मंत्री किरण रिजिजू, मल्लिकार्जुन खरगे, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी, जेपी नड्डा, एसपी के रामगोपाल यादव, बीजू जनता दल के सस्मित पात्रा, डीएमके के त्रिची शिवा, आप के संजय सिंह, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के शरद सुप्रिया सुले, तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय, राजद के प्रेमचंद गुप्ता और अन्य प्रमुख नेता उपस्थित थे। इसके साथ ही केंद्रीय गृह सचिव, केंद्रीय संसदीय कार्य सचिव और आईबी निदेशक भी मौजूद थे। सर्वदलीय बैठक में पहलगाम घटना के पीड़ितों को श्रद्धांजलि देने के लिए दो मिनट का मौन रखा गया।
बैठक से निकलने के बाद लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने कहा- सर्वदलीय बैठक में सभी ने पहलगाम आतंकवादी हमले की निंदा की। विपक्ष की हर कार्रवाई पर हमारा सरकार को पूरा समर्थन है।
मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा-इस बैठक की अध्यक्षता रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की, बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी मौजूद थे। सभी दलों ने हमले की निंदा की है। कश्मीर में शांति प्रयासों पर चर्चा हुई। जम्मू-कश्मीर में शांति बनाए रखने के लिए सभी प्रयास किए जाने चाहिए। सरकार को किसी भी कार्रवाई का समर्थन है।
असदुद्दीन ओवैसी ने कहा- देश को बचाना सरकार की जिम्मेदारी है और हम इसमें सरकार के साथ हैं। सरकार को जो भी उचित लगे, वह कार्रवाई करनी चाहिए। हम सरकार के साथ खड़े हैं।
केंद्र सरकार ने सर्वदलीय बैठक में पहलगाम हमले की गलती स्वीकार की है। बैठक के बाद किरण रिजिजू ने कहा- बैठक में इस बात पर चर्चा हुई कि यह घटना कैसे हुई और कहां गलती हुई। हमारे अधिकारियों ने बताया कि घटना कैसे घटी। यह बहुत दुःखद घटना है। पिछले कई वर्षों से कश्मीर में लोग शांतिपूर्वक अपना काम-धंधा कर रहे थे, पर्यटक आ रहे थे, गतिविधियां चल रही थीं और सब कुछ बहुत अच्छा चल रहा था। सभी राजनीतिक दलों ने अपने विचार रखे और एक बात उभर कर आई कि देश को एकजुट होकर एक स्वर में बोलना चाहिए। सभी दलों ने कहा है कि वे सरकार के साथ हैं।