नई दिल्ली। वक्फ संशोधन एक्ट को लेकर देशभर में हो रहे विरोध और समर्थन के बीच बुधवार 16 अप्रैल को पहली बार सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई होने जा रही है। दोपहर 2 बजे मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति संजय कुमार और केवी. विश्वनाथन की पीठ मामले की सुनवाई करेगी। कुल 72 याचिकाएं सुनवाई के लिए सूचीबद्ध की गई हैं। कांग्रेस, टीएमसी, डीएमके, सीपीआई जैसी पार्टियों के नेताओं ने याचिकाएं दाखिल किए हैं। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी याचिका दायर की है। सभी याचिकाओं में मुख्य बात यह है कि यह कानून मुसलमानों के खिलाफ भेदभाव करता है। वक्फ एक धार्मिक संस्था है। सरकार के कामकाज में हस्तक्षेप करना गलत है।
याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि नया वक्फ कानून संविधान के अनुच्छेद 14, 15 (समानता), 25 (धार्मिक स्वतंत्रता), 26 (धार्मिक मामलों का विनियमन) और 29 (अल्पसंख्यक अधिकार) जैसे मौलिक अधिकारों के खिलाफ है। याचिकाकर्ताओं ने यह भी कहा है कि कानून में बदलाव अनुच्छेद 300ए यानी संपत्ति के अधिकार के खिलाफ है।
वक्फ संशोधन अधिनियम के समर्थन में न्यायालय में कई याचिकाएं भी दायर की गई हैं। मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, महाराष्ट्र, उत्तराखंड, असम और छत्तीसगढ़ ने कानून को व्यावहारिक, पारदर्शी और निष्पक्ष बताया है। कुछ आदिवासी संगठनों ने इसका समर्थन किया है तथा इसे अपने समुदाय की रक्षा करने वाला कानून बताया है। उन्होंने कहा है कि पुराने कानून के कारण वक्फ बोर्ड अनुसूचित जनजातियों की जमीन पर भी कब्जा कर रहा था।