अहमदाबाद। गुजराती के वरिष्ठ साहित्यकार रजनीकुमार पंड्या का 86 वर्ष की आयु में निधन हो गया। जानकारी के अनुसार आज, 15 मार्च 2025 को रात्रि में संक्षिप्त बीमारी के बाद उनका निधन हो गया। उनका अंतिम संस्कार कल सुबह किया जाएगा। वह एक पत्रकार, कहानीकार, उपन्यासकार और निबंधकार थे। उन्होंने गुजराती भाषा के लिए कई यादगार रचनाएं दी हैं। उनके उपन्यास, कहानियां, आत्मकथाएं और लघु कथाएं गुजराती साहित्य में बहुत लोकप्रिय हैं। उन्हें ग्रामीण पत्रकारिता के लिए राज्य सरकार पुरस्कार, स्टेट्समैन पुरस्कार, लघु कथा के क्षेत्र में सरोज पाठक पुरस्कार और धूमकेतु पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
रजनीकुमार पंड्या का जन्म 6 जुलाई 1938 को जेतपुर में हुआ था। उनका बचपन बिल्खा में बीता। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा बिल्खा, चरखा, गोपालग्राम, धासा और जेतपुर में प्राप्त की। उनकी मां शिक्षित थीं, इसलिए उन्हें बचपन से ही पढ़ने-लिखने का शौक था। उन्होंने 1959 में गुजरात विश्वविद्यालय से बीकॉम और फिर 1966 में उसी विश्वविद्यालय से बीए की पढ़ाई पूरी की। उन्होंने 1959 से 1966 तक सरकारी लेखा परीक्षक के रूप में और 1966 से 1989 तक बैंक प्रबंधक के रूप में काम किया। उन्होंने 1959 में लेखन शुरू किया। उनकी लघु कथाओं में विशेष रुचि थी। कहानियों का पहला संग्रह ‘खलेल’ 1977 में प्रकाशित हुआ। उनकी पुस्तकों का हिंदी, अंग्रेजी, मराठी और सिंधी भाषाओं में अनुवाद हो चुका है।