ढाका। बांग्लादेश में शेख हसीना को सत्ता से बेदखल किए जाने के बाद अंतरिम सरकार ने कार्यभार संभाला है। पिछले साल अगस्त में शेख हसीना को देश छोड़कर भारत में शरण लेनी पड़ी थी। उस समय देश में बड़े पैमाने पर हिंसक दंगे हुए थे। वे दंगे अभी भी जारी हैं। हिंदुओं, ईसाइयों, पारसियों और यहूदियों सहित सभी अल्पसंख्यकों पर हिंसक हमले किए जा रहे हैं। देश में कानून और व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं है। स्थिति यहां तक बिगड़ गई है कि दंगे शुरू करने वाले छात्र संगठन आपस में ही बंट गए हैं। वे आमने-सामने लड़ रहे हैं। देश में अराजकता और अव्यवस्था का माहौल है। उस समय सेना ने चेतावनी दी थी कि अगर हालात ऐसे ही रहे तो हमें सत्ता अपने हाथ में लेनी पड़ेगी।
बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल वकार-उज-जमान ने कहा कि देश में व्याप्त आंतरिक कलह और अराजकता की स्थिति में सेना को अपनी भूमिका निभानी होगी।
जनरल वकार ने ढाका में सेना स्मारक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि अगर हम अपने मतभेदों से आगे नहीं बढ़ेंगे तो देश की एकता और अखंडता को खतरा पैदा हो जाएगा। अगर हम आपस में लड़ते रहेंगे तो देश की एकता कैसे बनी रहेगी? इस स्थिति के लिए हर कोई एक दूसरे को दोष दे रहा है। इसका फायदा उठाकर अराजक तत्व हिंसक घटनाएं कर रहे हैं। सेना प्रमुख ने आगे कहा कि वास्तव में हमारा काम देश के आंतरिक मामलों को संभालना नहीं है। लेकिन यदि स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो हमें ऐसा करना पड़ेगा। इसका मतलब यह नहीं है कि सेना तुरंत सत्ता अपने हाथ में ले लेगी। लेकिन अगर हालात ऐसे ही रहे तो सेना की अहम भूमिका से पूरी तरह इंकार नहीं किया जा सकता।
जनरल वकार उज-जेड को शेख हसीना का करीबी माना जाता है। वे हसीना के दूर के रिश्तेदार भी हैं। शेख हसीना ने उन्हें सेना प्रमुख नियुक्त किया था। इसलिए, यदि स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो सेना भी नियंत्रण स्थापित करेगी। इसमें शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग की भूमिका भी बढ़ेगी। अगर ऐसा हुआ तो बांग्लादेश में तस्वीर बदलने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।
बांग्लादेश में एक और तख्तापलट? मोहम्मद यूनुस को हटाने की तैयारी में सेना प्रमुख
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