गांधीनगर। राज्य सरकार ने स्थानीय निकाय चुनाव से पहले पाटीदार आरक्षण आंदोलन में शामिल हार्दिक पटेल समेत पाटीदार युवकों के खिलाफ दर्ज गंभीर केस वापस ले लिए हैं। पाटीदार नेता हार्दिक पटेल ने सोशल मीडिया (X) पर एक संदेश पोस्ट करके लिखा है-
गुजरात में पाटीदार आंदोलन के दौरान मुझ पर व समाज के अनेक युवकों पर दर्ज किए गए संगीन राजद्रोह के मामलों को आज भूपेंद्र पटेल की सरकार ने वापस ले लिया है। मैं समाज की ओर से गुजरात की भाजपा सरकार का विशेष आभार व्यक्त करता हूं।
इसके अलावा हार्दिक पटेल ने लिखा- पाटीदार आंदोलन के कारण गुजरात में अनारक्षित वर्गों के लिए आयोग-निगम का गठन हुआ, 1000 करोड़ रुपये की युवा स्वावलंबन योजना लागू हुई और देश में सवर्णों को आर्थिक आधार पर 10 फीसदी आरक्षण का लाभ मिला है। मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह और प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल का आभार व्यक्त करता हूं।
पाटीदार आरक्षण आंदोलन समिति(पास) के संयोजक दिनेश बांभणिया ने भी मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल को धन्यवाद दिया है। दिनेश बांभणिया ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया है कि आज मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने पाटीदार आंदोलन के मुख्य मामले वापस ले लिए, जिनमें देशद्रोह के गंभीर मामले भी शामिल हैं। जिसमें हार्दिक, दिनेश, चिराग, अल्पेश व अन्य को आरोपी बनाया गया था। इन सभी मामलों को वापस लेने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद… सत्यमेव जयते… जय सरदार…।
बता दें, गुजरात में पाटीदारों द्वारा 2015 में आरक्षण आंदोलन शुरू किया गया था। इस आंदोलन का असर गुजरात सहित पूरे देश में पड़ा था। इस आंदोलन से हार्दिक पटेल, गोपाल इटालिया, अल्पेश कथीरिया, रेशमा पटेल जैसे बड़े नेता उभरे थे। हालांकि, पाटीदार आरक्षण आंदोलन के दौरान कई पाटीदारों के खिलाफ शांति भंग करने के प्रयास और देशद्रोह समेत विभिन्न आपराधिक धाराओं के तहत गंभीर अपराध दर्ज किए गए थे। पाटीदार नेता तब से इन अपराधों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। आंदोलन के 10 वर्षों तक आरोप वापस नहीं लिये गए। हालांकि, अब 10 साल बाद राज्य सरकार ने पाटीदारों पर लगे आरोप वापस ले लिए हैं।
सरकार ने अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की
पाटीदारों के खिलाफ मामले वापस लेने के बारे में संपर्क करने पर राज्यमंत्री ऋषिकेश पटेल ने कहा कि इस रिपोर्ट की अभी तक कोई पुष्टि नहीं हुई है। सरकार ने इस बारे में अभी तक कोई परिपत्र जारी नहीं किया है। इस मामले में जब आला अधिकारियों व पुलिस अफसरों से संपर्क किया गया तो उनसे भी कोई स्पष्ट जानकारी नहीं मिली। ये दावे पाटीदार नेताओं द्वारा सोशल मीडिया पर बिना किसी सबूत के किए जा रहे हैं।