सूरत। बजट से पहले केंद्र सरकार ने किसानों के लिए बड़ा फैसला लिया है। गन्ने से बनने वाले इथेनॉल की कीमत बढ़ाने को मंजूरी दे दी है। इसके अलावा नेशनल क्रिटिकल मिनरल मिशन पर भी मुहर लगाई है। इस मिशन पर 16,300 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इसका मकसद देश में खनिज संपदा के सही इस्तेमाल के लिए एक ढांचा तैयार करना है।
कैबिनेट मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि सबसे बड़ा फैसला एथेनॉल ब्लेंडिंंग से जुड़ा हुआ है। पेट्रोल में मिलाए जाने वाले इथेनॉल को जहां पहले सरकारी कंपनियां 56.58 रुपये प्रति लीटर में खरीदती थीं, अब कंपनियां यही इथेनॉल 57.97 प्रति लीटर में खरीदेंगी। यानी इसकी कीमत में 3 फीसदी का इजाफा किया गया है। इसका लाभ किसानों तक पहुंंचाया जाएगा। केंद्र सरकार के इस फैसले से दक्षिण गुजरात की 9 सुगर फैक्ट्रियों को फायदा होगा।
सूरत जिले के किसान एवं सहकारी अग्रणी जयेशभाई (देलाड) ने बताया कि दक्षिण गुजरात में पंडवई, वटारिया, सायण, कामरेज, चलथान, महुआ, मढी, गणदेवी और धारीखेड़ा(राजपीपला) की सुगर फैक्ट्रियां मोलासीस से इथेनॉल का उत्पादन करके पेट्रोलियम कंपनियों को बेचती हैं। जयेश पटेल ने बताया कि सरकार ने इथेनाॅल की कीमत में बढ़ोतरी की है। अब गन्ने के रस से उत्पादित इथेनॉल 65.61 रुपए लीटर, बी-हैवी मोलासेस 60.73 और सी-हैवी मोलासेस 57.97 रुपए लीटर हो गया है। यह पहले 56.28 रुपए लीटर था।
बता दें, सरकार ने पेट्रोल में 20 फीसदी इथेनॉल मिलाने की छूट दी है। इसका मकसद कच्चे तेल का इंपोर्ट कम करना है, ताकि विदेशी मुद्रा बचाई जा सके। सरकार की इस पहल से पिछले एक दशक में 1,13,007 करोड़ की विदेशी मुद्रा की बचत हुई है। 2013-14 में जहां सिर्फ 38 करोड़ लीटर इथेनॉल मिलाया जाता था। अब वह बढ़कर 707 करोड़ लीटर हो गया है। कंपनियां पेट्रोल में 14.60% तक एथेनॉल मिला रही हैं। इस साल इसे बढ़ाकर 18% तक किया जाएगा।