नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को संबोधित किया। उन्होंने देशवासियों को गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं दीं और कहा- आज भारत विश्व का नेतृत्व कर रहा है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि संविधान भारतीयों के रूप में हमारी सामूहिक पहचान का आधार प्रदान करता है और संविधान हमें एक परिवार के रूप में जोड़ता है। सरकार ने कल्याण की अवधारणा को फिर से परिभाषित किया है और बुनियादी आवश्यकताओं को अधिकार का विषय बनाया है। एक राष्ट्र, एक चुनाव योजना शासन में निरंतरता को बढ़ावा देगी और वित्तीय बोझ को कम कर सकती है।
राष्ट्रपति ने कहा कि गणतंत्र दिवस समारोह सभी देशवासियों के लिए सामूहिक आनंद और गौरव का पर्व है। कहा जाता है कि किसी भी देश के इतिहास में 75 वर्ष पलक झपकने के समान होते हैं। लेकिन मेरी राय में, भारत के पिछले 75 वर्षों के संदर्भ में ऐसा बिल्कुल नहीं कहा जा सकता। यह वह कालखंड है जिसमें भारत की सुप्त आत्मा पुनः जागृत हुई है तथा हमारा देश विश्व समुदाय में अपना उचित स्थान लेने की दिशा में आगे बढ़ा है। विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक भारत को ज्ञान और बुद्धिमता का जन्मस्थान माना जाता है। लेकिन भारत को एक अंधकारमय दौर से गुजरना पड़ा। औपनिवेशिक शासन के तहत अमानवीय शोषण के कारण देश में अत्यधिक गरीबी व्याप्त थी।
राष्ट्रपति ने कहा कि आज सबसे पहले हम उन बहादुर सैनिकों को याद करते हैं जिन्होंने मातृभूमि को विदेशी शासन के चंगुल से मुक्त कराने के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। लोग इनमें से कुछ स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में तो जानते हैं, लेकिन उनमें से कई के बारे में उन्हें जानकारी नहीं है। इस वर्ष हम भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती मना रहे हैं। वह उन अग्रणी स्वतंत्रता सेनानियों में से एक हैं जिनकी भूमिका को राष्ट्रीय इतिहास के संदर्भ में उचित महत्व दिया जा रहा है।