बनासकांठा। पवित्र तीर्थस्थल अम्बाजी में पूर्णिमा के दिन मां अम्बा के प्राकट्य दिवस पर 13 जनवरी को धामक उत्सव सेवा समिति द्वारा 32वें वर्ष को बड़े धूमधाम से मनाया जाएगा। इस दौरान मां जगतजननी गजराज पर सवार होकर नगर की यात्रा पर निकलेंगी और सड़कों पर भक्तों को दर्शन देंगी।
पौषी पूनम के उपलक्ष्य में 13 जनवरी को गब्बर मंदिर और गब्बर पर्वत के आसपास स्थित 51 शक्तिपीठ मंदिरों से ज्योति प्रज्वलित करके अंबाजी मंदिर में लाया जाएगा। गब्बर मंदिर में पूजा-अर्चना के बाद शिखर पर ध्वज फहराया जाता है। गब्बर से लाई गई ज्योति को मुख्य मंदिर की ज्योति के साथ मिलाया जाता है। अम्बाजी मंदिर के मुख्य द्वार शक्तिद्वार पर महाआरती की जाएगी। इसके बाद गजराज से सुसज्जित होकर मां अम्बा अपने भक्तों को दर्शन देने के लिए नगर भ्रमण पर निकलेंगी।
भादरवी पूनम महामेले की तरह ही पौषी पूनम में भी लाखों की भीड़ जुटती है। चतुर्दशी और पूर्णिमा की रात यानि 12 व 13 जनवरी को अंबाजी मंदिर चाचर चौक पर अंबाजी स्कूल के विद्यार्थियों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा।
पौषी पूनम के दौरान भक्तों में 2100 किलो सुखडी का प्रसाद वितरित किया जाएगा। इस पूर्णिमा को सुखडी पूनम और शाकम्भरी पूनम भी कहा जाता है। इस दिन मांग भगवती को सब्जियों को सजाया जाता है, क्योंकि देवी भगवती ने सूखाग्रस्त भूमि को हरियाली होने का आशीर्वाद दिया था।
पौषी पूर्णिमा पर माताजी का रथ ध्वजा, हाथी, घोड़े, ऊंट, ढोल और संगीत से सुसज्जित होकर बड़ी धूमधाम और उत्साह के साथ शुरू होगी। जिसमें आदिवासी नृत्यों एवं विभिन्न सांस्कृतिक एवं धार्मिक झांकियों की श्रृंखला के साथ-साथ सम्पूर्ण यात्रा का अद्भुत एवं अलौकिक दृश्य देखने को मिलेगा। महिलाएं सिर पर फूल का कलश रखकर मां की शोभायात्रा में शामिल होंगी। इसके अलावा राजस्थान से महाबली बालाजी, अघोरी, विराट महाकाली रूप, अष्टभुजा माताजी, शिव पार्वती की विभिन्न झांकियां इस बार आकर्षण का केंद्र रहेंगी। इसके अलावा महाराष्ट्र से नासिक ढोल और त्रासा की टीम भी बुलाई गई है। 35 से अधिक झांकियों के साथ शहर की सड़कों पर घूमने के बाद मां का रथ अपने मंदिर में वापस आएगा और ध्वज को श्वानम शिखर पर फहराया जाएगा।