सूरत। इस साल उत्तरायण पर पतंगबाजों का मजा किरकिरा हाे सकता है। कारीगरों के मजदूरी बढ़ाने से पतंग के उत्पादन पर असर पड़ा है। इस साल पतंग का उत्पादन 25 फीसदी कम हुआ है। कम उत्पादन और मजदूरी बढ़ने का असर पतंग पर पड़ेगा। इस साल पतंग की कीमत में भारी बढ़ोतरी हाे सकती है। इतना ही नहीं कम उत्पादन और भाव बढ़ने के कारण आगामी दिनों में बाजार में पतंग की शॉर्टेज भी हो सकती है। वहीं, चाइनीज माझे पर प्रतिबंध लगाने से सूती धागों की कीमत में भी उछाल आया है। इस साल उत्तरायण पर मांझे में 10 से 20 फीसदी की बढ़ोतरी संभव है।
बता दें, देशभर में पतंग का मुख्य उत्पादन केंद्र गुजरात है। गुजरात के अहमदाबाद, नडियाद, खंभात और वडोदरा में मुख्य रूप से पतंग बनाए जाते हैं। अहमदाबाद में हल्के और भारी, नडियाद में मध्यम, खंभात में फैंसी और वडोदरा में महंगी पतंग का उत्पादन होता है। पतंग का उत्पादन मार्च से शुरू हो जाता है और जनवरी तक चलता है। इसमें अधिकांश महिलाएं काम करती हैं। पतंग बनाने के लिए पुणे से कागज और आसाम से बांस का आयात किया जाता है। आसाम ने बांस कोलकाता भेजा जाता है, वहां से कमान बनाकर गुजरात आता है।
सूरत के एक पतंग व्यापारी सतीष छत्रीवाला ने बताया कि सूरत और आसपास के इलाकों में दिवाली के बाद पतंग उड़ने लगती है। हालांकि, इस साल बारिश के लंबी खिंचने के कारण दिवाली के बाद पतंग की बिक्री नहीं हुई। दिसंबर तक पतंग और मांझे के भाव में कोई फर्क नहीं था, लेकिन जनवरी से दोनों के भाव तेजी से बढ़ने लगे हैं। इस साल उत्तरायण से दो सप्ताह पहले ही बाजार में पतंग और मांझे की जमकर खरीदी हाे रही है।