अहमदाबाद। गुजरात विद्यापीठ इन दिनों विवादों में है। यहां 22 दिसंबर 2024 को महात्मा गांधी द्वारा स्थापित गुजरात विद्यापीठ में पहली बार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का कार्यक्रम होने जा रहा है। इस मामले में गांधीवादियों की ओर से नाराजगी और विरोध जताया गया है। यह कार्यक्रम आरएसएस के शताब्दी समारोह का हिस्सा है जिसके लिए निमंत्रण भेजा गया है। जिसमें गुजरात विद्यापीठ, कर्णावती का पता लिखा है। आरएसएस अहमदाबाद की जगहर कर्णावती का इस्तेमाल करता है।
गुजरात विद्यापीठ में होने वाले कार्यक्रम को ‘सज्जन शक्ति संगम’ नाम दिया गया है। यह कार्यक्रम गुजरात विद्यापीठ के परिसर में आयोजित किया जा रहा है। यह कार्यक्रम नारणपुरा क्षेत्र का है। नारणपुरा जोन में आने वाले 6 इलाकों के शैक्षिक, सांस्कृतिक, सामाजिक, सेवा, आर्थिक और वैचारिक क्षेत्रों से जुड़े लोगों का पंजीकरण किया गया है। इसमें आईएएस, आईपीएस, डॉक्टर, प्रोफेसर, बिजनेसमैन, उद्योगपति, फिल्म कलाकार समेत 450 से ज्यादा लोग शामिल होंगे। कार्यक्रम के आयोजन में संघ के स्वयंसेवक मौजूद रहेंगे।
उधर, महात्मा गांधी द्वारा स्थापित गुजरात विद्यापीठ में संघ के कार्यक्रम को लेकर गांधीवादियों और विद्यापीठ के पूर्व कुलपतियों द्वारा नाराजगी और विरोध जताया गया है। गांधीवादियों के अनुसार आरएसएस और गांधी की विचारधारा हमेशा अलग-अलग रही है। इस कार्यक्रम को लेकर गुजरात विद्यापीठ के पूर्व चांसलर सुदर्शन अयंगर ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि गुजरात विद्यापीठ में आरएसएस का कार्यक्रम होने वाला है। यह अच्छी बात है, पर गांधी जी की संस्था में यह कार्यक्रम आयोजित करना अनुचित एवं अविवेकपूर्ण है। आरएसएस एक हिंदू राष्ट्र की परिकल्पना करता है और गांधी की विचारधारा सभी धर्मों की समानता की है। आरएसएस और गांधीजी की विचारधारा मेल नहीं खाती। दोनों के बीच एक दार्शनिक अंतर है। गुजरात विद्यापीठ में सत्ता के बल पर आरएसएस का कार्यक्रम अनुचित एवं अविवेकपूर्ण है। ऐसी संस्था में आरएसएस का कार्यक्रम नहीं होना चाहिए।
सुदर्शन अयंगर ने कहा कि गुजरात विद्यापीठ में कार्यक्रम आयोजित करने के पीछे दो ही कारण हो सकते हैं। एक तो यह कि आरएसएस अब गांधीजी के विचारों से प्रभावित है। यदि ऐसा है तो उन्हें पहले अपने परिसर में गांधीजी की विचारधारा पर एक कार्यशाला आयोजित करनी चाहिए।
गुजरात विद्यापीठ में कार्यक्रम को लेकर आरएसएस ने सफाई दी है। उन्होंने कहा है कि संघ के 100 वर्ष पूरे होने पर यह कार्यक्रम राज्य के सभी जिलों में आयोजित किया जा रहा है। विद्यापीठ में 450 लोगों को आमंत्रित किया गया है। नवजीवन ट्रस्ट पहले भी कई कार्यक्रम आयोजित कर चुका है। वर्धा में संघ की बैठक में गांधीजी स्वयं भी शामिल हुए थे और उन्होंने संघ के कार्यक्रमों की प्रशंसा की थी। कार्यक्रम में सामाजिक समरसता पर चर्चा होगी। परिवार के प्रति जागरूकता पर काम करना होगा। अगर ऐसा कार्यक्रम गांधीजी की विचारधारा वाले किसी विद्यापीठ में होता है तो इसमें गलत क्या है?