भुज। भारत सरकार की स्वदेश दर्शन 2.0 परियोजना के तहत धोलावीरा के विकास के लिए 135 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। जिसमें धोलावीरा में कच्छ की संस्कृति, कला और इतिहास को उजागर करने वाले लाइट एंड साउंड शो सहित विभिन्न विकास कार्य किए जाएंगे। कच्छ में स्थित धोलावीरा को वर्ष 2021 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल किया गया है।
भारत सरकार द्वारा स्वदेश दर्शन 2.0 के तहत देश में कुल 50 स्थानों का चयन किया गया है। जिसमें से गुजरात के दो स्थानों धोलावीरा और द्वारका को जगह मिली है। भूमिगत जल निकासी व्यवस्था और जल प्रबंधन का सर्वोत्तम उदाहरण हड़प्पा सभ्यता के प्राचीन शहर धोलावीरा में स्वदेश दर्शन 2.0 परियोजना के तहत संस्कृति गांव, एम्फीथिएटर, टेंट सिटी, पर्यटक प्लाजा आदि का निर्माण किया जाएगा।
धोलावीरा को सस्टेनेबल एंड रिस्पॉन्स टूरिस्ट स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा। इसका संचालन मुख्यतः दो भागों में किया जायेगा। जिसमें करीब 135 करोड़ रुपये की लागत से टेंट सिटी, एम्फीथियेटर, कल्चर विलेज, टूरिस्ट प्लाजा और सड़क विकास समेत अन्य कार्य किये जायेंगे। इसके साथ ही कच्छ की कला, संस्कृति और इतिहास को लाइट एंड साउंड शो के जरिए प्रदर्शित किया जाएगा। एक सामुदायिक भवन भी बनाया जाएगा।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण पूरे भारत में 19 से 25 नवंबर तक ‘विश्व विरासत सप्ताह’ मना रहा है। विश्व विरासत सप्ताह इस वर्ष विविधता की खोज और अनुभव थीम पर मनाया जा रहा है। गुजरात के कुछ महत्वपूर्ण विरासत स्थलों को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में नामित किया गया है। हाल ही में कच्छ के धोलावीरा को विश्व धरोहर स्थल का दर्जा प्राप्त हुआ है। इस स्थल की खोज 1967 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा की गई थी, लेकिन 1990 के दशक से केवल व्यवस्थित रूप से खुदाई की गई है। यहां खुदाई के दौरान मिली कलाकृतियों में टेराकोटा, मिट्टी के बर्तन, मोती, सोने और तांबे के आभूषण, मुहरें, मछली पकड़ने के कांटे, जानवरों की मूर्तियां, उपकरण, कलश शामिल हैं।