मुंबई। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे कल, 23 नवंबर को घोषित होंगे। एग्जिट पोल के अनुमानों पर गौर करें तो हर कोई असमंजस में है कि अगर दोनों गठबंधनों को 19-20 सीटों का अंतर भी मिल जाए तो भी सरकार बनाने में परेशानी आ सकती है। महायुति और महाविकास अघाड़ी अपने समर्थक दलों के सभी विधायकों को बनाए रखने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं। विपक्षी दलों में अभी से ऑपरेशन लोटस’ का डर देखा जा रहा है।
संजय राउत, कांग्रेस नेता बालासाहेब थोराट और एनसीपी-एसपी के जयंत पाटिल ने इस मुद्दे पर चर्चा के लिए कल बैठक की। उन्हें डर है कि अगर दोनों गठबंधनों को कम अंतर से सीटें मिलीं तो भाजपा और एकनाथ शिंदे दूसरी पार्टियों के नेताओं को खरीदने की कोशिश कर सकते हैं। इसलिए उन्होंने ज्यादातर विधायकों और नेताओं को कांग्रेस शासित राज्यों तेलंगाना और कर्नाटक में भेजने का फैसला किया है। चुनाव नतीजे घोषित होते ही शनिवार शाम को इन विधायकों को राज्य से बाहर भेज दिया जाएगा।
विधायकों को बाहर से तभी वापस बुलाया जाएगा जब गठबंधन में से किसी एक की ओर से सरकार बनाने का दावा पेश किया जाएगा। इसके अलावा निर्दलीय और छोटी पार्टी के नेताओं से भी संपर्क किया जा सकता है। इसलिए गठबंधन की शीर्ष पार्टियां अभी से ही विधायकों को अपने पक्ष में करने की कोशिश में जुट गई हैं। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि हमें पूरा भरोसा है कि हमारी सरकार बनेगी और एग्जिट पोल एक बार फिर गलत साबित होंगे। अगर नतीजे निराशाजनक रहे तो विधायकों को राज्य से बाहर भेजा जाएगा।
हालांकि, इन विधायकों को कहां भेजा जाएगा अभी तक यह स्पष्ट नहीं हुआ है। लेकिन उन्हें कांग्रेस शासित राज्य तेलंगाना और कर्नाटक में भेजा जा सकता है, ताकि वहां पुलिस सहायता और होटल की व्यवस्था की जा सके। फिलहाल सभी पार्टियां नतीजे आने तक इंतजार करो और देखो की नीति अपना रही हैं। गौरतलब है कि लाडली बहन योजना से भाजपा को फायदा होगा। साथ ही ज्यादा मतदान भाजपा और महायुति को फायदा होने का भी संकेत देता है। देवेन्द्र फड़णवीस ने कहा कि उच्च मतदान हमारे लिए हमेशा फायदेमंद रहा है।