जूनागढ़। गिरनार पर्वत पर स्थित अम्बाजी मंदिर के महंत तनसुखगिरि का निधन हो गया। महंत के मरते ही उत्तराधिकारी को लेकर विवाद शुरू हो गया है। अखाड़ा परिषद के महामंत्री और भवनाथ मंदिर के महंत हरिगिरि, इंद्रभारती का गुट और कमंडल कुंड और भूतनाथ के महेशगिरि आमने-सामने आ गए। यह विवाद उस समय खड़ा हुआ जब महंत तनसुखगिरि की समाधि-पालकी यात्रा की तैयारी चल रही थी।
बता दें, कल देर रात अंबाजी मंदिर के महंत तनसुखगिरी बापू का इलाज के बाद अस्पताल में निधन हो गया। सुबह भीड़भंजन में समाधि और पालकी यात्रा की तैयारी चल रही थी। उस दौरान हरिगिरि, इंद्रभारती, महेशगिरि समेत साधु-संत मौजूद थे। तनसुखगिरि के शिष्य किशोरभाई और योगेशभाई से हरिगिरि ने कहा कि आपने मुझे फोन पर जो बात की थी, उसे सबके सामने बताओ। किशोरभाई और योगेशभाई ने कहा कि जब तनसुखगिरि बापू का इलाज राजकोट के गोकुल अस्पताल में चल रहा था, तभी महेशगिरि और अन्य वहां आए और कुछ कागजों पर तनसुखगिरि की उंगलियों के निशान लेकर चले गए थे।
इस पूरे मामले में कमंडल कुंड, भूतनाथ के महंत महेशगिरि ने स्पष्ट किया है कि मैंने गिरनार में विरोधी ताकतों के खिलाफ सत्य और धर्म के लिए लड़ाई लड़ी है और लड़ता रहूंगा। किशोरभाई और योगेशभाई के आरोप के बारे में उन्होंने कहा कि मैंने उन दोनों को सूचित किया था और डॉक्टरों, गवाहों की मौजूदगी में सभी प्रक्रियाएं की हैं। इसका ऑडियो-वीडियो सहित सबूत है कि ये दोनों भी मौजूद थे और समर्थन भी कर रहे थे। मैं जल्द ही इसका खुलासा करूंगा।