नई दिल्ली। पंजाब के पंचायत चुनाव में 13 हजार में से 3 हजार उम्मीदवार निर्विरोध चुने गए हैं। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने भी इस पर हैरानी जताई। सुप्रीम कोर्ट ने असंतुष्ट उम्मीदवारों को चुनाव याचिका दायर करने की अनुमति दे दी है।
सीजेआई संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने कई उम्मीदवारों के नामांकन पत्र खारिज करने और अन्य चुनाव अनियमितताओं का आरोप लगाने वाली याचिका पर पहले ही नोटिस जारी किया था। पीठ ने कहा कि पीड़ित व्यक्ति चुनाव आयोग के समक्ष याचिका दायर कर सकता है, जिसमें चुनाव आयोग को छह महीने के अंदर इस पर फैसला लेना होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जिन उम्मीदवारों का नामांकन पत्र खारिज हो गया है या फट गया है, वे अपनी शिकायत लेकर पंजाब या हरियाणा हाई कोर्ट भी जा सकते हैं। जिसमें उनके आवेदन को सीमा अवधि के उल्लंघन के आधार पर खारिज नहीं किया जा सकता है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि याचिकाओं का निस्तारण गुण-दोष के आधार पर किया जाना चाहिए। आदेश में कहा गया कि हम उम्मीदवारों को आवेदन करने की अनुमति देते हैं। जिसमें आवेदनों पर राज्य निर्वाचन आयोग छह माह में निर्णय लेगा। फैसले में देरी होने पर आवेदक हाई कोर्ट जा सकता है।
चीफ जस्टिस ने पंजाब में सरपंच चुनाव में 3000 उम्मीदवारों के निर्विरोध चुने जाने पर हैरानी जताई और कहा, यह बहुत अजीब है। मैंने ऐसे आंकड़े कभी नहीं देखे, यह बहुत बड़ी संख्या है। वहीं एक वकील ने दावा किया कि चुनाव के दौरान एक उम्मीदवार का चुनाव चिन्ह हटा दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर आश्चर्य जताया कि हाईकोर्ट ने प्रभावित पक्षों की बात ठीक से सुने बिना ही सैकड़ों याचिकाएं खारिज कर दीं।