अमरेली। अमरेली के सावरकुंडला में वर्षों पुरानी परंपरा आज भी कायम हैं। जहां दिवाली के दिन इंगोरिया और कोकड़ा का युद्ध होता है। सावरकुंडला दुनिया का एकमात्र ऐसा गांव है, जहां युवक बाजार के पटाखों के बजाय घर में बने पटाखों को एक-दूसरे पर फेंककर दिवाली मनाते हैं। सावरकुंडला में लगभग 70 वर्षों से दिवाली की रात को इंगोरिया युद्ध होता आ रहा है। गांव के युवक चौराहे पर एकत्रित होते हैं और एक-दूसरे पर अंगारा फेंकते हैं। यह खेल वर्षों से खेला जा रहा है। लगभग चौथी पीढ़ी इस गेम को खेल रही है। वर्षों पहले यह युद्ध सावर और कुंडला के बीच होता था। अब यह खेल शहर के तीन मुख्य चौराहों पर खेला जाता है। इस खेल को देखने के लिए लोग अहमदाबाद, राजकोट, सूरत, मुंबई और कोलकाता जैसे बड़े शहरों से आते हैं।
इस खेल के बारे में ग्रामीणों का कहना है कि सावरकुंडला में इंगोरिया यानी अंगारा खेल पिछले चार दशकों से खेला जा रहा है। युवक पहले एक दूसरे पर अंगारा फेंकते थे, अब जलते हुए पटाखे फेंकते हैं। इस खेल से कोई जलता नहीं है। यह खेल सावरकुंडला के नवली चौक, राउंड एरिया और देवलागेट इलाके में खेला जाता है। सावरकुंडला के बाहर रहने वाले लोग भी इस खेल को देखकर आश्चर्यचकित रह जाते हैं।