अरावली। अरावली में दिवाली की ऐतिहासिक विरासत आज भी संरक्षित है। आज, 31 अक्टूबर को दिवाली की रात शामपुर गांव की ऊंची पहाड़ी पर 13 फीट ऊंची और 7 फीट परिधि वाली मशाल जलाकर प्रकाश पर्व मनाया जाएगा। ग्रामीणों के अनुसार यह परंपरा महाभारत काल से ही चली आ रही है।
पहले दिवाली के दिन बच्चे हाथों में बर्तन लेकर घर-घर तेल मांगने के लिए निकलते थे। हालांकि, अब मशाल जलाने की परंपरा खत्म होती जा रही है। अरावली के शामपुर गांव में दिवाली की रात पहाड़ी पर राज्य की सबसे बड़ी और ऐतिहासिक मशाल जलाने की परंपरा को अभी भी बरकरार रखा है। यह परंपरा महाभारत काल से चली आ रही है। ऊंची पहाड़ी पर ईंट और चूने से मशाल बनी है। दिवाली की रात ग्रामीणों पहाड़ी पर जाते हैं और परंपरा के अनुसार इस मशाल को जलाते हैं।