मुंबई। भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर गश्त को लेकर हुए समझौते पर विदेश मंत्री एस जयशंकर का बयान सामने आया है। विदेश मंत्री ने कहा कि इसका श्रेय सेना को जाता है, यह बहुत की अकल्पनीय परिस्थियों में हुआ है और कुशल कूटनीति के तौर पर देखा जाना चाहिए। शनिवार को महाराष्ट्र के पुणे में छात्रों के साथ बातचीत के दौरान एक प्रश्न का उत्तर देते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि संबंधों को सामान्य बनाने में अभी समय लगेगा।
विदेश मंत्री ने कहा कि जब प्रधानमंत्री मोदी ने ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के लिए रूस के कजान में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की थी तो यह निर्णय लिया गया कि दोनों देशों के विदेश मंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मिलेंगे और देखेंगे कि आगे कैसे बढ़ा जा सकता है।
विदेश मंत्री ने कहा कि आज अगर हम इस मुकाम पर पहुंचे हैं तो इसका कारण यह है कि हमने अपनी जमीन पर डटे रहने और अपनी बात रखने के लिए दृढ़ प्रयास किया। सेना देश की रक्षा के लिए बहुत ही अकल्पनीय परिस्थितियों में मौजूद थी और सेना ने अपना काम किया, इसके साथ कूटनीति ने अपना काम किया।
विदेश मंत्री ने कहा कि आज भारत 10 साल पहले की तुलना में पांच गुना अधिक संसाधनों का उपयोग कर रहा है, जिसके परिणाम दिख रहे हैं। हालांकि, 2020 से सीमा की स्थिति बहुत अस्थिर बनी हुई है और सितंबर 2020 से भारत-चीन समाधान खोजने के तरीकों पर बातचीत कर रहे हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह थी कि सैनिकों को पीछे धकेलना पड़ा, क्योंकि वे एक-दूसरे के इतने करीब थे कि कुछ भी हो सकता था। इसके बाद दोनों पक्षों के सैनिकों की संख्या में वृद्धि के कारण तनाव कम हो गया।
विदेश मंत्री ने कहा कि एक बड़ा मुद्दा यह है कि आप सीमा का प्रबंधन कैसे करते हैं और सीमा समझौते पर कैसे बातचीत करते हैं। जो कुछ भी अभी भी हो रहा है वह पहला भाग है, जो पीछे हटना है। भारत और चीन कुछ बिंदुओं पर इस बात पर सहमत हो गए हैं कि 2020 के बाद सैनिकों की तैनाती कैसे की जाएगी। लेकिन एक अहम हिस्सा गश्त से जुड़ा था। पेट्रोलिंग रोकी जा रही थी और हम पिछले दो साल से इस बारे में बताने की कोशिश कर रहे थे। 21 अक्टूबर को जो हुआ वह यह था कि उस विशेष क्षेत्र, देपसांग और डेमचोक में हम इस बात पर सहमत हुए कि गश्त पहले की तरह फिर से शुरू होगी।
21 अक्टूबर, 2024 को विदेश सचिव विक्रम मिस्त्री ने घोषणा की कि सप्ताह तक चली चर्चा के बाद दोनों देश एलएसी पर गश्त व्यवस्था, सैनिकों की वापसी और अंततः क्षेत्र में उत्पन्न मुद्दों पर एक समझौते पर पहुंचे हैं।