कोप्पल। देश में पहली बार दलितों पर अत्याचार के मामले में कर्नाटक के कोप्पल की कोर्ट ने सामूहिक रूप से 98 लाेगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। अन्य तीन दोषियों को 5 साल के कठोर कारावास और 2000 रुपये जुर्माने की सजा सुनाई गई है। इस मामले की सुनवाई जस्टिस चंद्रशेखर सी ने की। उन्होंने इस मामले में 101 लोगों को सजा सुनाई है। आरोपियों में कुछ ऐसे थे, जिनके खिलाफ एससी-एसटी एक्ट नहीं लगाया जा सकता था। आरोपी भी दलित समुदाय के थे, इसलिए उनके खिलाफ इस एक्ट के तहत कार्रवाई नहीं हो सकती थी। देश में ऐसा पहली बार है जब दलितों पर अत्याचार के मामले में एक साथ इतने लोगों को सजा सुनाई गई है। मामला करीब 10 साल पुराना है। सरकारी वकील अपर्णा बूंदी ने कहा कि मामले में 117 लोगों को आरोपी बनाया गया था, इनमें से 16 की सुनवाई के दौरान मृत्यु हो गई। फिलहाल आजीवन कारावास की सजा पाए सभी दोषी बल्लारी केंद्रीय जेल में हैं।
बता दें, यह मामला 28 अगस्त 2014 का है। जब गांव के होटलों और नाई की दुकानों में दलितों को प्रवेश देने से मना करने पर पीड़ितों और आरोपियों के बीच झड़प हो गई थी। जिसके बाद आरोपियों ने गंगावती तहसील के मराकुंबी गांव में दलित समुदाय के लोगों के घरों में आग लगा दी थी। इस घटना के बाद राज्य के कई हिस्सों में व्यापक विरोध प्रदर्शन हुआ था। इस हिंसा के कारण माराकुम्बी को तीन महीने तक पुलिस की सख्त निगरानी में रखा गया था।