अहमदाबाद। नकली अदालत बनाकर अरबों रुपए की सरकारी जमीन हड़पने के घोटाले में पकड़े गए फर्जी जज मॉरिस सैमुअल क्रिश्चियन को करंज पुलिस ने घी कांटा फौजदारी कोर्ट में पेश किया। इस दौरान आरोपी ने पुलिस पर पिटाई करने का आरोप लगाया। पुलिस ने 14 दिनों की रिमांड की मांग की। कोर्ट ने फर्जी जज की 11 दिनों की रिमांड मंजूर की। मॉरिस सैमुअल क्रिश्चियन पर आरोप है कि वह अहमदाबाद में फर्जी अदालत बनाकर बाकायदा जज और वकील, क्लर्क रखकर पालडी की सरकारी जमीन का ऑर्डर दिया था। अहमदाबाद से गिरफ्तार फर्जी जज मॉरिस क्रिश्चियन की कोर्ट ने 3 नवंबर तक रिमांड मंजूर कर ली है। इस बीच फर्जी जज मॉरिस क्रिश्चियन अभी भी सेशंस जज के समकक्ष होने का दावा कर रहा है।
बड़ा खुलासा: आरोपी के पास कोई कानूनी डिग्री नहीं है
इस मामले में बेहद चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। नकली कोर्ट चला रहे फर्जी जज मॉरिस क्रिश्चियन के पास कोई कानूनी डिग्री नहीं है। वह पिछले 25-30 सालों से फर्जीवाड़ा कर रहा था।
फर्जी जज मॉरिस सैमुअल क्रिश्चियन काे लेकर गुजरात बार काउंसिल के पूर्व चेयरमैन और फाइनेंस कमेटी के चेयरमैन अनिल सी केला ने बड़ा खुलासा किया है। उन्होंने कहा कि मॉरिस क्रिश्चियन गुजरात बार काउंसिल का रजिस्टर्ड वकील नहीं है। इससे पहले जब मॉरिस ने जुलाई-2007 में बार काउंसिल में प्रमाणपत्र के लिए आवेदन किया था, तो गुजरात बार काउंसिल ने मॉरिस के प्रमाणपत्रों का सत्यापन कराया था और बार काउंसिल ऑफ इंडिया से सत्यापन प्राप्त किया था।
जिसमें बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने दिसंबर-2007 में खुद कहा था कि मॉरिस के पास लाइसेंस पाने की योग्यता नहीं है। इसके बाद बार काउंसिल की ओर से मॉरिस क्रिश्चियन के खिलाफ अहमदाबाद ग्रामीण कोर्ट में शिकायत दर्ज कराई गई थी। कोर्ट के आदेश देने पर क्राइम ब्रांच को जांच सौंपी गई थी।
क्राइम ब्रांच की जांच में पता चला कि मॉरिस क्रिश्चियन ने 2002 में अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान, नई दिल्ली से एलएलबी की डिग्री हासिल की थी और इसी विश्वविद्यालय से बी.कॉम भी किया था और इंटरनेशनल बार काउंसिल का सदस्य है। इसके बाद क्राइम ब्रांच ने गुजरात बार काउंसिल से सवाल किया था कि क्या मौरिस क्रिश्चियन पंजीकृत वकील है, वह अंतर्राष्ट्रीय बार काउंसिल का सदस्य होने पर यहां वकालत कर सकता है..?
बार काउंसिल ने स्पष्ट शब्दों में जवाब दिया था कि मॉरिस क्रिश्चियन देश के किसी भी राज्य के बार काउंसिल का सदस्य नहीं है। वह गुजरात में पंजीकृत वकील भी नहीं हैं और न ही उसे कोई कानूनी प्रमाणपत्र दिया गया है। मॉरिस क्रिश्चियन ने जिस यूनिवर्सिटी से डिग्री हासिल करने का दावा किया है, उसे बार काउंसिल ऑफ इंडिया से मान्यता प्राप्त नहीं है।
बार काउंसिल के पूर्व अध्यक्ष अनिल सी. केला ने कहा कि कोई भी व्यक्ति इंटरनेशनल बार काउंसिल की सदस्यता के तहत देश या राज्य की किसी भी अदालत में प्रैक्टिस नहीं कर सकता है। मॉरिस सैमुअल क्रिश्चियन पिछले 25-30 वर्षों से अवैध रूप से वकालत कर रहा था और बार काउंसिल द्वारा उसके खिलाफ दायर केस मौजूदा समय में साक्ष्य चरण में ग्रामीण अदालत में लंबित है।
बता दें, पुलिस ने आरोपी मॉरिस सैमुअल क्रिश्चियन को कोर्ट में पेश किया तो आरोपी जज के दिखावे से बाहर नहीं आया। उसने कोर्ट से कहा कि मुझे आरोपी कहकर संबोधित न करें। मैं अभी भी मध्यस्थ न्यायाधीश हूं। मेरे पास डिग्री है। कोई कानूनी प्रमाण-पत्र न होने के बावजूद मॉरिस न्यायाधीश और वकील होने का दावा करता रहा।
मौरिस क्रिश्चियन ने अदालत में शिकायत की कि पुलिस उसकी पिटाई करके अपराध कबूल करने के लिए दबाव डाल रही। पुलिस की पिटाई में उसका चश्मा भी टूट गया। पुलिस ने उसकी पसलियों में लात मारी और जांघ पर बेल्ट से पीटा, उसका इलाज होना चाहिए। हालांकि, वह जांच में सहयोग करने को तैयार है। उसकी दलील के बाद, अदालत ने मेडिकल रिपोर्ट मांगने का आदेश दिया।
मॉरिस के खिलाफ गांधीनगर कोर्ट में भी ऐसा मामला चल रहा है। अहमदाबाद, गांधीनगर समेत राज्य के कई लोग मौरिस क्रिश्चियन की धोखाधड़ी के शिकार हुए हैं और उसके खिलाफ विभिन्न अदालतों में केस दायर किए गए हैं।
फर्जी जज मौरिस क्रिश्चियन ने 5 जनवरी 20215 को गांधीनगर प्रिंसिपल जज के नाम से एक फर्जी सर्कुलर बनाया था। जिसमें उल्लेख किया गया था कि मॉरिस को सिविल प्रक्रिया संहिता की धारा 89 के अनुसार प्रत्येक न्यायालय के सिविल दावों में निपटान प्रक्रिया के लिए मध्यस्थता परामर्शदाता और मध्यस्थता विशेषज्ञ के रूप में नियुक्त किया गया है। साथ ही उस सर्कुलर की एक प्रति गांधीनगर जिले की सभी अदालतों को भी भेजी गई थी।
साल 2006 में माॅरिस सैमुअल क्रिश्चियन को सिटी क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार किया था। फर्जी वीजा मामले में मॉरिस से कड़ी पूछताछ की गई थी। इस दौरान उसके पास से 9 फर्जी पासपोर्ट देखकर क्राइम ब्रांच के अधिकारी भी हैरान हो गए थे।