अहमदाबाद। सरकार ने रविवार को सरकारी और अर्ध-सरकारी (जीएमईआरएस) मेडिकल कॉलेजों के इंटर्न और रेजिडेंट डॉक्टरों का स्टाईपेंड बढ़ाने का फैसला किया। सरकार ने इस साल 40 फीसदी की बजाय 20 फीसदी स्टाईपेंड बढ़ाया है, इसके साथ ही यह प्रावधान भी किया है कि अब तीन के बदले पांच साल में स्टाईपेंड बढ़ाया जाएगा। सरकार के इस निर्णय का जूनियर-रेजिडेंट डॉक्टरों ने विरोध करके हुए हड़ताल करने का ऐलान किया है।
गुजरात के छह सरकारी मेडिकल कॉलेजों और 13 जीएमईआरएस मेडिकल कॉलेजों के सभी इंटर्न डॉक्टरों और प्रथम से तीसरे वर्ष के सभी रेजिडेंट डॉक्टरों सहित 7,000 से अधिक जूनियर डॉक्टर आज से हड़ताल पर जाएंगे। डॉक्टरों की हड़तला से एक बार फिर मरीजों की परेशान बढ़ेगी। जूनियर डॉक्टरों के हड़ताल पर जाने से सरकारी अस्पतालों में ओपीडी से लेकर ऑपरेशन पर काफी असर पड़ेगा।
सरकारी मेडिकल कॉलेजों और जीएमईआरएस मेडिकल कॉलेजों के एमबीबीएस इंटर्न छात्रों के साथ-साथ पीजी मेडिकल-रेजिडेंट डॉक्टरों के प्रथम, द्वितीय और तृतीय वर्ष के छात्रों को दिए जाने वाले स्टाईपेंड में बढ़ोतरी अप्रैल से लंबित थी। जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन ने इसका कड़ा विरोध किया था और बढ़ोतरी की मांग को लेकर हड़ताल पर जाने की धमकी दी थी, लेकिन सरकार ने कुछ दिनों की मोहलत मांगते हुए स्टाइपेंड बढ़ाने का आश्वासन दिया था।
राज्य सरकार की ओर से रविवार को किए गए स्टाईपेंड वृद्धि प्रस्ताव के मुताबिक 20 फीसदी की बढ़ोतरी की गयी है। जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन ने विरोध करते हुए शिकायत की है कि सरकार के साथ हुई बैठक में 40 फीसदी बढ़ोतरी का आश्वासन दिया गया था, लेकिन सरकार ने स्टाइपेंड में सिर्फ 20 फीसदी की बढ़ोतरी की है।
इसके अलावा सरकार के प्रस्ताव के मुताबिक हर 3 साल पर स्टाईपेंड बढ़ाया जाता है, लेकिन सरकार ने अब पांच साल तक कोई बढ़ोतरी नहीं करने का प्रावधान कर दिया है, जो अनुचित है। विरोध पर उतरे जूनियर डॉक्टरों ने आज से हड़ताल पर जाने का ऐलान किया है।
सरकार के साथ 10 से 12 बैठकों और ज्ञापनों के बावजूद, ऑल गुजरात जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन के तहत सभी छह सरकारी मेडिकल कॉलेजों और सभी 13 जीएमईआरएस मेडिकल कॉलेजों के इंटर्न डॉक्टर और रेजिडेंट डॉक्टर आज हड़ताल पर रहेंगे। जूनियर डॉक्टर ओपीडी, ऑपरेशन समेत सभी चिकित्सा सेवाओं में शामिल नहीं होंगे और सभी ऑपरेशन से अलग रहेंगे।
जूनियर डॉक्टरों की अनिश्चितकालीन हड़ताल के कारण सिविल अस्पताल समेत सरकारी अस्पतालों में ओपीडी-सर्जरी-ऑपरेशन समेत अन्य कामकाज एक बार फिर प्रभावित होंगे और मरीजों को परेशानी उठानी पड़ेगी। इस हड़ताल में 4 हजार से ज्यादा इंटर्न और 3 हजार से ज्यादा रेजिडेंट डॉक्टर शामिल होंगे।