Thursday, March 20, 2025
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विधानसभा में बिल पेश; अंधविश्वास फैलाने वालों को होगी 7 साल तक की जेल, जमानत भी नहीं मिलेगी

गांधीनगर। गुजरात विधानसभा के तीन दिवसीय मानसून सत्र में अंधविश्वास विरोधी विधेयक पेश किया गया। गृह राज्यमंत्री हर्ष सांघवी ने विधेयक पेश किया, जिसमें अंधविश्वास करने, प्रेरित करने और भड़काने वालों के लिए सजा का प्रावधान है। इस बिल में अंधविश्वासी को छह महीने से सात साल तक की जेल और 5 हजार से 50 हजार रुपए तक जुर्माने का प्रावधान है। इसके अलावा विधेयक में ऐसे आरोपियों को जमानत न देने का भी प्रावधान है। अब इस कानून के मुताबिक अगर कोई प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से नरबलि, काला जादू, अघोरी प्रथा को बढ़ावा देगा तो यह अपराध माना जाएगा।
गुजरात विधानसभा का तीन दिवसीय मानसून सत्र आज से शुरू हो गया है, जिसमें दोपहर में गृह राज्यमंत्री हर्ष संघवी ने विधानसभा में अंधविश्वास विरोधी बिल पेश किया। विधेयक के मुताबिक अंधविश्वास को बढ़ावा देने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इसमें अंधविश्वास करने या प्रेरित करने वालों के लिए 6 महीने से 7 साल तक की सजा, 5 हजार से 50 हजार का जुर्माना और गैर जमानती सजा का प्रावधान है। हालांकि, असम, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, ओडिशा, राजस्थान और महाराष्ट्र द्वारा अंधविश्वास विरोधी कानून बनाए जाने के बाद गुजरात ऐसा कानून लागू करने वाला 7वां राज्य बन जाएगा।
विधानसभा में पेश किए गए अंधविश्वास विरोधी विधेयक के अनुसार कोई भी व्यक्ति जो स्वयं काला जादू, बुरी और क्रूर प्रथाओं, मानव बलि और अमानवीय, षडयंत्र रचेगा, व्यापार करेगा, विज्ञापन देगा या भड़काएगा उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
अंधविश्वास विरोधी बिल को लेकर गृह राज्यमंत्री ने कहा कि काला जादू की प्रथा सिर्फ भारत में ही लागू नहीं है, बल्कि पश्चिमी देशों में भी इस तरह की प्रथा देखने को मिलती है। हालांकि, हर जगह काले जादू को रोकने के लिए अलग-अलग कानून लागू किए गए हैं। आजादी के 78 साल बाद भी अंधविश्वास होता है, इसे रोकने की जरूरत है। विधानसभा में लागू किए गए अंधविश्वास विरोधी विधेयक में इस बात का भी खास ख्याल रखा गया है कि लोगों की आस्था और विश्वास को ठेस न पहुंचे।

ये गतिविधियां अपराध नहीं मानी जाएगी
इस अधिनियम की धारा-12 में यह स्पष्ट किया गया है कि आपराधिक कृत्य में कौन सी बातें शामिल नहीं होंगी…।
(1) प्रदक्षिणा, यात्रा, परिक्रमा और पूजा, हरिपथ, कीर्तन, प्रवचन, भजन, शिक्षा, अध्ययन, प्रचार, प्राचीन और पारंपरिक विज्ञान, कला का प्रसार और साथ ही मृत संतों के चमत्कार, धार्मिक उपदेशकों के चमत्कार जिससे शारीरिक या आर्थिक हानि नहीं होती, उस साहित्य का प्रचार करने पर।
(2) घर, मंदिर, दरगाह, गुरुद्वारा, चर्च या अन्य पूजा स्थलों जैसे स्थानों पर प्रार्थना, पूजा और सभी धार्मिक समारोह करना, जिससे शारीरिक क्षति या वित्तीय हानि न हो।
(3) सभी धार्मिक उत्सवों, त्योहारों, प्रार्थना, जुलूस और उनसे जुड़े किसी भी अन्य कार्य, मन्नत, मुहर्रम जुलूस और अन्य सभी धार्मिक समारोह करना, धार्मिक समारोहों के अनुसार बच्चों के कान और नाक छिदवाना, केशलोचन जैसे धार्मिक समारोह करना और वास्तु शास्त्र एवं भूजल स्रोत से संबंधित सलाह, ज्योतिषी आदि गतिविधि देना अपराध नहीं माना जाएगा।

गुजरात में घटी कुछ दिल दहलाने वाली घटनाएं
(1) बनासकांठा जिले के एक गांव में नरबलि देने से शादी होने के वहम में मासूम बच्ची की हत्या कर दी गई।
(2) गिर सोमनाथ जिले में एक व्यक्ति को अपनी 14 साल की बेटी पर भूत-प्रेत होने का संदेह था। बेटी के ऊपर से भूत-प्रेत हटाने के चक्कर में उसे दो घंटे तक खेत में आग के पास खड़ा रखा। गंभीर रूप से झुलसी बेटी को चार-पांच दिनों तक खेत में भूखा रखा, इससे उसकी मौत हो गई थी।
(3) अरावली जिले में एक 70 वर्षीय महिला को उसके पोते ने डायन होने के शक में मार डाला था।
(4) सूरत में एक ढोंगी तांत्रिक ने बेटी को उसके लापता पिता से मिलवाने के बहाने यौन शोषण करके उसकी जिंदगी बर्बाद कर दी। इसके अलावा खेत में सोने की ईंट और अन्य खजाने गड़े होने का झांसा देकर कई लोगों से पैसे ऐंठने की घटनाएं भी सामने आई हैं।

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