अहमदाबाद। केंद्र सरकार ने 12 साल पहले रिटायर्ड भ्रष्ट अधिकारियों की संपत्ति जब्त करने का कानून बनाया था। अब गुजरात सरकार भी नौकरी के दौरान भ्रष्टाचार करने वाले अधिकारियों-कर्मचारियाें के खिलाफ भी ऐसा ही कानून बना रही है। विधानसभा के मानसून सत्र में इस संदर्भ में विधेयक लाए जाने की पूरी संभावना है।
राजकोट के भ्रष्ट पूर्व टीपीओ मनसुख सागठिया के मामले से चौकन्नी सरकार अगले सत्र में बिल लाने की तैयारी में जुट गई है। मनसुख सागठिया के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला भी दर्ज किया गया है। प्रस्तावित कानून में आय से अधिक संपत्ति का केस दर्ज होते ही सरकार सभी संपत्तियों को जब्त कर सकेगी।
गुजरात में सरकारी कार्यालयों और जिला प्रशासन में भ्रष्टाचारी अधिकारियों और कर्मचारियों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। भ्रष्ट अधिकारी अपनी अतिरिक्त कमाई को कीमती जमीनों, फार्म हाउसों और अन्य संपत्तियों में निवेश कर रहे हैं। ऐसे अधिकारियों के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज होने के बाद संपत्ति जब्त करने के लिए अदालती प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। हालांकि अब सरकार केस दर्ज करके आय से अधिक संपत्ति जब्त कर सकेगी। इसके अलावा जमानत के लिए भी कड़े नियम बनाए जा सकते हैं। इससे पहले देश में 2006 में उड़ीसा सरकार और 2009 में बिहार सरकार ने इस संबंध में कानून पारित किया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर होते ही इसे रोक दिया गया है। प्रस्तावित कानून में न केवल भ्रष्ट अधिकारी बल्कि उनके परिवार के सदस्यों और फर्जी नामों से खरीदी गई संपत्ति भी जब्त की जाएगी। गुजरात में ऐसे भी मामले सामने आए हैं जहां ड्यूटी के दौरान भ्रष्टाचार तो किया गया, लेकिन रिटायरमेंट के बाद उस अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की गई। केंद्र सरकार द्वारा 12 साल पहले बनाए गए कानून के तहत रिटायरमेंट के बाद भी किसी अधिकारी की संपत्ति जब्त की जा सकती है।