इंदौर। इंदौर में चार मंजिला इमारत को बम से गिराए जाने के बाद रिश्वतखोरी का मामला सामने आया है। चार दिन पहले नगर निगम द्वारा कार्रवाई किए जाने के बाद इमारत के मालिक ने दावा किया है कि इमारत के निर्माण के लिए 5 लाख रुपए की रिश्वत दी गई थी। इसके बाद 15 लाख रुपए की और मांग की गई। जिसे देने से इनकार किया तो अवैध बताते हुए विस्फोटकों का इस्तेमाल कर मकान को गिरा दिया। महापौर ने पूरे मामले की जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।
इंदौर नगर निगम ने स्कीम नंबर 54, पीयू-4 में नाले से 9 मीटर की दूरी पर बने मकान को पोकलेन का इस्तेमाल कर विस्फोटकों से गिरा दिया। अब इमारत के मालिक डॉ. इजहार मुंशी ने कहा कि वे इस इमारत में अस्पताल शुरू करना चाहते थे। इसका नक्शा भी स्वीकृत हो गया था, लेकिन रिश्वत देने से इनकार करने पर मकान को गिरा दिया गया।
स्वास्थ्य विभाग में चिकित्सा अधिकारी के पद पर कार्यरत डॉ. इजहार मुंशी 31 मई 2025 को सेवानिवृत्त हुए थे। डॉ. मुंशी ने बताया कि वे इस भवन में अस्पताल शुरू करना चाहते थे। उनके परिवार में कुल 19 डॉक्टर हैं। भवन को गिराए जाने के खिलाफ वे हाईकोर्ट में अपील करेंगे। भवन का नक्शा 22 नवंबर 2020 को स्वीकृत हुआ था। भवन अधिकारी ने उस समय 5 लाख रुपए रिश्वत ली थी। लेकिन बाद में 15 लाख की मांग की। काम शुरू करने के बाद वहां ड्रेनेज लाइन मिली तो उन्होंने तुरंत अधिकारी से संपर्क किया। अधिकारी ने ड्रेनेज लाइन छोड़कर काम जारी रखने को कहा। बाद में अधिकारी अचानक पहुंचे और कहा कि भवन का निर्माण नक्शे के विपरीत हो रहा है।
निगम आयुक्त ने मामले को जोनल कार्यालय क्षेत्र में पदस्थ भवन अधिकारी और भवन निरीक्षक को सौंप दिया। महापौर परिषद के सदस्य और भवन अनुज्ञा शाखा के प्रभारी राजेश उदावत ने राज्य के नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय को पत्र लिखकर कहा कि इस भवन का नक्शा गलत तरीके से स्वीकृत करने वाले इंजीनियर असित खरे जोनल कार्यालय में पदस्थ थे। उन्होंने गलत नक्शा स्वीकृत किया। इसलिए खरे और कंसल्टेंट इंजीनियर के खिलाफ सीधी कार्रवाई की जाए। निगम में विपक्ष के नेता चिंटू चौकसी ने जोनल कार्यालय के भवन अधिकारी और भवन निरीक्षक को बर्खास्त कर मामले की विभागीय जांच की मांग की थी। इंजीनियरों को उनके पद से हटाने की भी सिफारिश की है।