लखनऊ। उत्तर प्रदेश के हापुड़ में मोनाड यूनिवर्सिटी में वर्ष 2018 से फर्जी डिग्री बनाने और बेचने का धंधा चल रहा है। राज्य पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) द्वारा यूनिवर्सिटी के चेयरमैन और प्रो-वाइस चांसलर को यूनिवर्सिटी के विभिन्न कोर्स की फर्जी डिग्री और मार्कशीट बनाने और छात्रों से पैसे ऐंठने के आरोप में गिरफ्तार किए जाने के बाद हापुड़ जिला प्रशासन ने यूपी सरकार से मोनाड यूनिवर्सिटी की मान्यता रद्द करने की मांग की है। इसके लिए पुलिस के साथ एसटीएफ की दो टीमें भी लगाई गई हैं।
एसटीएफ की कार्रवाई की जानकारी मिलते ही मोनाड के पूर्व मालिक और जिम्मेदार पदों पर बैठे कर्मचारी भूमिगत हो गए हैं। उन्हें कार्रवाई के जाल में फंसने का डर सता रहा है। मोनाड यूनिवर्सिटी के फर्जी डिग्री मामले का मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है। यहां एक ओर जहां एक लाख से अधिक फर्जी डिग्री और मार्कशीट छापने का मामला सामने आया है, वहीं पुलिस-एसटीएफ को जानकारी मिली है कि नौ राज्यों में डिग्रियां बेची जा रही हैं।
इस मामले में यूनिवर्सिटी के मालिक के पिता-पुत्र समेत 11 लोगों को जेल भेजा जा चुका है। एसटीएफ की जांच में पता चला है कि फर्जी डिग्री बनाने का यह खेल 2018 से चल रहा था। मोनाड यूनिवर्सिटी के मौजूदा मालिक विजेंद्र हुड्डा ने इसे 2022 में खरीदा था। एसटीएफ और पुलिस की जांच के मुताबिक मोनाड के पूर्व मालिक और कर्मचारी भी इस जालसाजी में शामिल थे।
एसटीएफ ने इन लोगों की कुंडली खंगालना शुरू कर दिया है। पुलिस और एसटीएफ की दो टीमें इन पर गोपनीय जांच कर रही हैं। शुरुआती जांच में इनकी संलिप्तता सामने आई है। ये पहले भी कई सौ करोड़ के छात्रवृत्ति घोटाले में शामिल रहे हैं। मोनाड में फर्जी डिग्री का ऐसा खुला खेल खेला गया, मानो कोई किराने की दुकान हो!
शहर के एक नामी वकील ने बताया कि उन्होंने पहले मेरठ से एलएलबी की थी। पिछले साल उन्हें लगा कि मास्टर डिग्री (एलएलएम) करना जरूरी है, इसलिए वे मोनाड पहुंचे। उन्हें बताया गया कि एक लाख रुपए देने होंगे। दो दिन में एलएलएम की डिग्री मिल जाएगी। कहीं चेक करा लो, कोई पकड़ नहीं पाएगा।