नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने एक जनहित याचिका पर संज्ञान लेते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है जिसमें आरोप लगाया गया है कि पिछले साल भीषण गर्मी के कारण 700 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी। याचिका में हीटवेव प्रबंधन पर कार्य योजना तैयार करने के लिए राष्ट्रीय दिशानिर्देशों के सख्त कार्यान्वयन की मांग की गई है। मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज क्राइस्ट की पीठ ने गृह मंत्रालय, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और अन्य को नोटिस जारी किए तथा उन्हें दो सप्ताह के भीतर अपना जवाब देने का आदेश दिया।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने एक कार्यकर्ता की याचिका पर सुनवाई की। याचिकाकर्ता ने पूर्वानुमान, गर्मी की चेतावनी, पूर्व चेतावनी प्रणाली जारी करने जैसी सुविधाओं के साथ-साथ 24 घंटे शिकायत निवारण हेल्पलाइन का प्रावधान करने की मांग की है। याचिकाकर्ता की ओर से वकील आकाश वशिष्ठ ने अदालत में दलील दी कि पिछले साल भीषण गर्मी के कारण 700 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी। बार-बार यह अनुमान लगाया जा रहा है कि आने वाले दिनों में गर्मी और अधिक बढ़ेगी, जिससे मरने वालों की संख्या में भी वृद्धि होगी।
वकील ने तर्क दिया है कि पहले, उत्तर-पश्चिम और मध्य भारत सहित केवल तीन क्षेत्रों में ही गर्म लहरें आती थीं। लेकिन अब इसकी पहुंच पूर्वी तट, पूर्व, उत्तर-पूर्व, प्रायद्वीप, दक्षिण और दक्षिण-मध्य क्षेत्रों तक फैल गई है। मौसम विभाग की एक रिपोर्ट में भी यह बात कही गई है। याचिका में कहा गया है कि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा बाढ़ प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय दिशानिर्देश मौजूद होने के बावजूद कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने अभी तक दिशानिर्देशों से संबंधित योजनाओं को लागू नहीं किया है।