नई दिल्ली। आज संसद के एनेक्सी भवन में विदेश मामलों पर संसदीय स्थायी समिति की बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में समिति के सदस्यों ने भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम और ट्रंप के मध्यस्थता के दावों पर सवाल उठाए। सूत्रों के अनुसार, इसके जवाब में विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा है कि संघर्ष विराम में किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की जरूरत नहीं है। यह निर्णय द्विपक्षीय स्तर पर लिया गया।
विक्रम मिस्री ने समिति को ऑपरेशन सिंदूर और उसके बाद की पूरी घटना के बारे में जानकारी दी। इस बात की भी जानकारी दी गई कि पहलगाम हमले के बाद भारत ने किस प्रकार पाकिस्तान और पीओके में आतंकवादी शिविरों पर हमला किया। जानकारी के अनुसार संसदीय समिति ने विक्रम मिस्री से युद्धविराम और इसमें अमेरिकी राष्ट्रपति की भूमिका के बारे में सवाल पूछे।
उल्लेखनीय है कि जिस दिन भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध विराम की घोषणा हुई थी, उसी दिन ट्रम्प ने युद्ध विराम में मध्यस्थता करने का दावा किया था। ट्रम्प ने ‘ट्रुथ सोशल’ नामक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम का आह्वान किया। हालांकि, भारत की ओर से जारी आधिकारिक बयान में कहीं भी अमेरिका का नाम नहीं लिया गया। कुछ दिनों बाद, वाशिंगटन में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में ट्रम्प ने कहा कि मेरी सरकार ने भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध विराम कराने में मदद की। मैंने दोनों देशों से कहा कि यदि आप ऐसा नहीं रोकेंगे तो अमेरिका आपके साथ कोई कारोबार नहीं करेगा। जिसके बाद दोनों देशों ने रोक लगा दी। यदि मेरी सरकार ने युद्ध को न रोका होता, तो मुझे लगता है कि एक खतरनाक परमाणु युद्ध छिड़ जाता, जिसमें लाखों लोग मारे जाते। मुझे युद्धविराम में मदद करने पर गर्व है। उपराष्ट्रपति जे. डेविनेस और विदेश मंत्री रुबियो को धन्यवाद।’ ट्रम्प ने आगे कहा कि स्थिति अत्यंत गंभीर है। दोनों देशों के नेतृत्व और बुद्धिमत्ता के कारण स्थिति में सुधार हुआ।