नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के लोकप्रिय पर्यटन स्थल पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले से पूरा देश गुस्से और शोक में है। इस खूबसूरत और शांतिपूर्ण पर्यटन स्थल पर मंगलवार को आतंकवादियों ने 28 निर्दोष लोगों की निर्मम हत्या कर दी थी। मरने वाले अधिकतर लोग पर्यटक थे, जो अपने परिवार के साथ यहां छुट्टियां बिताने आए थे।
यह हमला ऐसे समय हुआ है जब घाटी में स्थिति सामान्य हो गई है और पर्यटन उद्योग एक बार फिर गति पकड़ रहा है। होटल भरे हुए थे, टैक्सियों की कतारें लगी हुई थीं और हवाई अड्डे से लेकर पहलगाम तक हर जगह पर्यटक नजर आ रहे थे, लेकिन इस घटना ने एक बार फिर कश्मीर की वादियों में भय और सन्नाटा फैला दिया है।
पिछले कुछ वर्षों में जम्मू और कश्मीर में पर्यटन क्षेत्र में भारी उछाल आया है। 2019 में अनुच्छेद 370 हटने के बाद अस्थिरता का माहौल था, फिर कोविड आने से सबकुछ ठप्प हो गया, लेकिन 2021 में स्थिति में सुधार होता दिख रहा था। जम्मू-कश्मीर पर्यटन विभाग के आंकड़ों के अनुसार, 2021 में कुल 1.13 करोड़ पर्यटक यहां आए। वर्ष 2022 में यह आंकड़ा बढ़कर 1.88 करोड़ और 2023 में 2.11 करोड़ पर पहुंच गया। 2024 में रिकॉर्ड 23.6 मिलियन पर्यटक जम्मू-कश्मीर घूमने आए। जिनमें से 2.7 मिलियन पर्यटक अकेले कश्मीर पहुंचे। घाटी में होटलों की मांग इतनी बढ़ गई थी कि कुछ स्थानों पर पर्यटकों के लिए निजी होमस्टे में ठहरने की व्यवस्था की गई थी। गुलमर्ग, सोनमर्ग, पहलगाम जैसे स्थल फिर से चमकने लगे थे। होटल अपना कारोबार बढ़ा रहे थे। गुलमर्ग को एशिया के शीर्ष स्थलों में भी शामिल किया गया था।
जम्मू-कश्मीर पर्यटन नीति 2020 के अनुसार, पर्यटन यहां की जीएसडीपी में 7 प्रतिशत से अधिक का योगदान देता है। 2018-19 में जम्मू और कश्मीर का अनुमानित जीएसडीपी 1.57 लाख करोड़ था। जिसमें पर्यटन का प्रत्यक्ष योगदान 11,000 करोड़ से अधिक है। अतः 2019-20 में पर्यटन का योगदान 7.84% था, जो 2022-23 में बढ़कर 8.47% हो गया। घाटी में हजारों परिवार पर्यटन उद्योग से जुड़े हुए हैं। शिकारा चालकों, गाइडों, टैक्सी चालकों, होटल कर्मचारियों, रेस्तरां, कारीगरों और हस्तशिल्प बेचने वालों की आजीविका इस पर निर्भर करती है। सरकार का अनुमान है कि पर्यटन क्षेत्र हर साल लगभग 50,000 नए रोजगार के अवसर पैदा करता है। इसके अलावा, अगले 10 वर्षों में 4,000 पर्यटन सेवा क्षेत्र प्रदाताओं को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य भी रखा गया।
यह हमला सिर्फ 28 लोगों पर नहीं बल्कि पूरे देश पर है। इसका खामियाजा उन कश्मीरियों को भुगतना पड़ रहा है जो पर्यटन क्षेत्र की मदद से अपना घर चला रहे थे। अगर लोग यहां नहीं आएंगे तो उनका रोजगार कैसे चलेगा और इसका असर सैकड़ों परिवारों पर पड़ेगा।