मंुबई। पिछले कुछ समय से चल रहे भाषा विवाद के बीच महाराष्ट्र सरकार ने आज एक अहम घोषणा की है। फडणवीस सरकार ने स्कूलों में हिंदी की अनिवार्यता हटा दी है। सरकार ने पांचवीं कक्षा तक के पाठ्यक्रम में हिंदी को अनिवार्य विषय बनाने के फैसले पर रोक लगा दी है। महाराष्ट्र सरकार में शिक्षा मंत्री दादा भुसे ने कहा कि इस संबंध में पहले जारी किए गए जीआर के अनुसार हमने स्कूलों में हिंदी की अनिवार्यता हटा दी है।
हाल ही में 17 अप्रैल 2025 को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत कक्षा एक से पांच तक के विद्यार्थियों के लिए हिंदी, मराठी और अंग्रेजी विषयों की पढ़ाई अनिवार्य करने का निर्णय लिया गया था। इसका विरोध करते हुए परामर्शदात्री समिति के अध्यक्ष लक्ष्मीकांत देशमुख ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर इस आदेश पर रोक लगाने का प्रस्ताव रखा था।
देशमुख ने पत्र में लिखा कि प्राथमिक विद्यालय के छात्रों को उनकी मातृभाषा सिखाई जानी चाहिए। उच्च शिक्षा संस्थानों में त्रिभाषा नीति लागू की जानी चाहिए। इसलिए हिंदी भाषा को वैकल्पिक बनाया जाना चाहिए। वर्तमान में स्कूलों में मराठी और अंग्रेजी भाषा की शिक्षा का स्तर भी खराब है। कई स्कूलों में केवल एक या दो शिक्षक हैं। हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में शामिल करने से शिक्षकों पर बोझ बढ़ जाएगा। और यहां तक कि बच्चे भी कोई भाषा आसानी से और सही ढंग से नहीं सीख पाएंगे।