गांधीनगर। 2002 के गुजरात दंगों में मारे गए लोगों के बच्चों, परिवार के सदस्यों या रिश्तेदारों को सरकारी भर्ती में विभिन्न पदों के लिए दी जाने वाली आयु में छूट समाप्त कर दी गई है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने हाल ही में इस संबंध में एक परिपत्र जारी किया है। 28 मार्च को जारी इस परिपत्र पर भारत सरकार के उप सचिव पी. वेणुकुट्टन नायर के हस्ताक्षर हैं। गृह मंत्रालय द्वारा 2007 में जारी पहले आदेश का हवाला देते हुए परिपत्र में कहा गया है कि गुजरात दंगा पीड़ितों को दी गई आयु में छूट तत्काल प्रभाव से वापस ली जाती है। इस छूट का लाभ अर्धसैनिक बलों, इंडिया रिजर्व बटालियनों, राज्य पुलिस बलों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, अन्य राज्य और केंद्र सरकार के विभागों में भर्ती में दिया गया था।
हालांकि, इस आदेश में सरकार के उपरोक्त निर्णय का कारण नहीं बताया गया है। एक समय गुजरात दंगों के पीड़ितों को सरकारी भर्ती में आयु में छूट सहित अन्य लाभ दिए गए थे। गुजरात दंगों में हजारों लोग मारे गए थे, जिनमें से अधिकांश मुस्लिम समुदाय से थे।
दंगों के दस साल बाद, ह्यूमन राइट्स वॉच ने कहा कि गुजरात दंगों की जांच और मुकदमा चलाने के प्रयास विफल कर दिए गए। इस मामले से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ताओं और वकीलों को भी परेशान किया गया। उन्हें धमकाया गया और वहां से चले जाने को कहा गया। उस दस वर्ष की अवधि के दौरान, मुस्लिम विरोधी हिंसा में गुजरात राज्य के अधिकारियों की मिलीभगत के सबूत भी सामने आए।
उल्लेखनीय है कि 2022 के एक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात दंगों की जांच कर रहे विशेष जांच दल को बंद करने के फैसले को बरकरार रखा था। कहा गया कि इस जांच में प्रधानमंत्री मोदी समेत किसी भी नेता के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं मिला।