नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित नवकार महामंत्र दिवस कार्यक्रम में शामिल हुए। इस दौरान मोदी ने नवकार महामंत्र का जाप किया। इसके बाद उन्होंने लोगों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि नवकार महामंत्र विकसित भारत के लक्ष्य से जुड़ा हुआ है। मैंने लाल किले से कहा था कि विकसित भारत का मतलब विकास के साथ-साथ विरासत भी है। मोदी ने जैन धर्म की प्रशंसा करते हुए कहा कि जैन धर्म ने भारत की पहचान स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मैं अपने भीतर नवकार महामंत्र की इस आध्यात्मिक शक्ति को महसूस कर रहा हूं, वही अनुभूति मुझे तब हुई थी जब मैंने कुछ वर्ष पहले बेंगलुरु में इस तरह का सामूहिक जाप देखा था, और वही अनुभूति आज भी हो रही है। नवकार महामंत्र मात्र एक मंत्र नहीं है, यह हमारी आस्था का केंद्र और जीवन का मूल स्वर है। और इसका महत्व सिर्फ आध्यात्मिक ही नहीं है, यह स्वयं से लेकर समाज तक, सबको एक साथ रखकर रास्ता दिखाता है। यह मंत्र व्यक्ति से ब्रह्मांड तक की यात्रा है। इस मंत्र का न केवल प्रत्येक श्लोक, बल्कि प्रत्येक अक्षर भी एक मंत्र है। मोदी ने मंत्र की प्रशंसा करते हुए कहा कि नवकार महामंत्र एक मार्ग है, एक ऐसा मार्ग जो व्यक्ति को भीतर से शुद्ध करता है, जो व्यक्ति को सद्भाव का मार्ग दिखाता है। नवकार महामंत्र सच्चे अर्थों में मानव साधना, ध्यान, साधना और आत्मशुद्धि का मंत्र है। हम जानते हैं कि जीवन के नौ तत्व हैं, ये नौ तत्व जीवन को पूर्णता की ओर ले जाते हैं। और इसीलिए हमारी संस्कृति में नौ का विशेष महत्व रहा है। इसके साथ ही मोदी ने नवकार महामंत्र की व्याख्या भी समझाई, उन्होंने कहा कि नवकार महामंत्र कहता है कि खुद पर भरोसा करो, खुद की यात्रा शुरू करो, दुश्मन बाहर नहीं बल्कि हमारे भीतर है। नकारात्मक विचार, अविश्वास और शत्रुता हमारे शत्रु हैं और उन पर विजय पाना ही सच्ची विजय है। यही कारण है कि जैन धर्म हमें बाहरी दुनिया पर नहीं, बल्कि स्वयं पर विजय पाने की प्रेरणा देता है। प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी सरकार की तारीफ करते हुए कहा कि जब भगवान महावीर के 2550वें निर्वाण महोत्सव का समय आया तो हमने इसे पूरे देश में मनाया। आज जब विदेशों से प्राचीन मूर्तियां भारत लाई जाती हैं, तो हमारे तीर्थयात्रियों की मूर्तियां भी वापस आती हैं। मोदी ने इस संबोधन में कहा कि आपको यह जानकर गर्व होगा कि पिछले कुछ वर्षों में तीर्थंकरों की 20 से ज्यादा मूर्तियां विदेशों से भारत वापस लाई गई हैं। जैन धर्म की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि जैन धर्म के मूल्यों ने भारतीय समाज को एक नई दिशा दी है और देश के सांस्कृतिक परिदृश्य को आकार दिया है।