Wednesday, April 2, 2025
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1 अप्रैल से बदल जाएंगे टैक्स के ये नियम, रिटर्न भरने से पहले इसे जान लें

नई दिल्ली। वित्तीय वर्ष 2025-26 (मूल्यांकन वर्ष 2026-27) के लिए सार्वजनिक केंद्रीय बजट में एक नया आयकर विधेयक पेश किया गया है। साथ ही, नई कर व्यवस्था के तहत करदाताओं को आकर्षित करने और कर अनुपालन को आसान बनाने के लिए कर ढांचे को सरल बनाने के उद्देश्य से बड़े बदलाव लागू किए गए हैं। इन बदलावों को ध्यान में रखते हुए टैक्स प्लानिंग करना जरूरी है। बजट 2025 में धारा 115BAC के तहत नए टैक्स स्लैब प्रस्तावित किए गए हैं। यह स्लैब नई कर व्यवस्था (डिफ़ॉल्ट टैक्स व्यवस्था) के तहत लागू होगा। नई कर व्यवस्था के तहत छूट की सीमा 5 लाख रुपये है।
एफएससी इकाइयों के लिए कर छूट की समय सीमा 31 मार्च 2030 तक बढ़ा दी गई है, जिससे निवेशकों और व्यवसायों को दीर्घकालिक लाभ मिलेगा। विदेशी निवेशकों द्वारा आईएफएससी से खरीदी गई जीवन बीमा पॉलिसियों पर कोई कर नहीं लगेगा, जिससे अंतर्राष्ट्रीय निवेश को बढ़ावा मिलेगा। इसके अलावा स्टार्टअप्स के लिए भी राहत प्रदान की गई है, जहां 1 अप्रैल 2030 तक धारा 80-आईएसी के तहत पंजीकृत स्टार्टअप्स को पहले 10 वर्षों में से 3 वर्षों के लिए 100% कर छूट दी जाएगी।
कर प्रणाली को सरल बनाने के लिए धारा 206AB और 206CCA को हटा दिया गया है, जिससे TDS और TCS की जटिलताएं कम हो जाएंगी। साझेदारों के लिए पारिश्रमिक कटौती की सीमा भी बढ़ा दी गई है, जहां रु. अधिकतम रु. 6,00,000 पुस्तक लाभ पर। 3,00,000 या 90% (जो भी अधिक हो) और यदि यह रु. यदि यह रु. 6,00,000 तक की राशि पर 60% तक की कटौती की अनुमति होगी।
इसके अतिरिक्त, रु. 1000/- वार्षिक प्रीमियम वाली यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस योजनाएं (यूलिप) भी उपलब्ध हैं। उनकी 2.5 लाख रुपये से अधिक की आय पूंजीगत लाभ कर के अंतर्गत कर योग्य होगी। स्व-कब्जे वाली संपत्तियों के संबंध में भी राहत दी गई है, अब उनकी संख्या दो तक सीमित नहीं रहेगी और यदि मालिक किसी कारणवश वहां नहीं रह सकता है, तो भी उसे शून्य आय के रूप में गिना जाएगा।

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