नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने मौजूदा हालात को देखते हुए पूर्वोत्तर के तीन राज्यों मणिपुर, नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश में सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम (अफस्पा) को छह महीने के लिए बढ़ा दिया है। गृह मंत्रालय की अधिसूचना के अनुसार, मणिपुर राज्य में कानून और व्यवस्था की स्थिति की समीक्षा के बाद, केंद्र सरकार ने सशस्त्र बल अधिनियम, 1958 की धारा 3 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, 5 जिलों के 13 पुलिस स्टेशनों के अधिकार क्षेत्र में आने वाले क्षेत्रों को छोड़कर पूरे मणिपुर राज्य को 1 अप्रैल 2025 से छह महीने की अवधि के लिए यानी अगली अधिसूचना तक ‘अशांत क्षेत्र’ घोषित किया है। अधिसूचना के अनुसार, नागालैंड राज्य में कानून और व्यवस्था की स्थिति की समीक्षा की गई तथा अफस्पा (AFSPA) को छह महीने के लिए बढ़ा दिया गया है। नागालैंड के जिन जिलों में अफस्पा को दोबारा लागू किया गया है उनमें दीमापुर, न्यूलैंड, चुमोकेदिमा, मोन, किफिर, नोकलाक, फेक और पेरेन शामिल हैं। कोहिमा जिले में खुजामा, कोहिमा उत्तर, कोहिमा दक्षिण, झुब्जा और केजोचा पुलिस स्टेशनों के अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र, मोकोकचुंग जिले में मंगकोलेम्बा, मोकोकचुंग-1, लोंगथो, तुली, लोंगचेम और अनाकी ‘सी’ हैं।
गृह मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार मणिपुर के कुछ क्षेत्रों में अशांति और हिंसा की स्थिति को देखते हुए कदम उठाए गए हैं। अफस्पा के तहत सशस्त्र बल किसी भी संदिग्ध व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकते हैं, उसकी जांच कर सकते हैं और आवश्यकता पड़ने पर उसे गोली भी मार सकते हैं। राज्य में कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने तथा शांति सुनिश्चित करने के उद्देश्य से अफस्पा की अवधि बढ़ा दी गई है। राज्य चरमपंथी और अलगाववादी समुदायों से हिंसा का सामना कर रहा है।
अफस्पा क्या है?
अफस्पा एक कानून है जो भारतीय सेना और अन्य सुरक्षा बलों को विशेष शक्तियां देता है। ताकि उग्रवाद और आतंकवाद जैसे संकटों से प्रभावित क्षेत्रों में शांति और सुरक्षा स्थापित की जा सके। इस कानून के तहत सेना को संदिग्ध लोगों को गिरफ्तार करने, जांच करने और उनके खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार है। वे बिना किसी अदालती आदेश के यह कार्रवाई कर सकते हैं। यह कानून इसलिए भी विवादास्पद है क्योंकि यह सुरक्षा बलों को अधिक शक्ति देता है। इसलिए, ऐसी संभावना है कि कुछ मामलों में मानवाधिकारों का उल्लंघन हो सकता है।