बेंगलुरू। सरकारी निविदाओं में मुसलमानों को चार प्रतिशत आरक्षण देने संबंधी विधेयक पर भारतीय जनता पार्टी के विधायकों ने भारी हंगामा किया। आर. अशोक के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी के विधायकों ने आरक्षण विधेयक की प्रति फाड़कर अध्यक्ष की ओर फेंक दी। इसके अलावा विधायक हनीट्रैप मुद्दे पर भी सरकार का विरोध कर रहे थे। जिसके बाद 18 विधायकों को छह महीने के लिए निलंबित कर दिया गया है।
कर्नाटक विधानसभा अध्यक्ष ने अनुशासनहीनता के कारण भाजपा के 18 विधायकों को निलंबित कर दिया। इस बीच मार्शल को बुलाकर विधायकों की पिटाई की गई और उन्हें सदन से बाहर भेज दिया गया। ये विधायक अब छह महीने तक विधानसभा भवन, लॉबी या गैलरी में प्रवेश नहीं कर सकेंगे। विधायकों को समिति के चुनावों में मतदान करने की अनुमति नहीं दी जाएगी तथा सभी दैनिक भत्ते भी छह माह के लिए बंद कर दिए जाएंगे। कर्नाटक सरकार के मंत्री एमबी पाटिल ने इस मुद्दे पर बयान जारी करके कहा है- सदस्यों का व्यवहार कानून की दृष्टि से पूरी तरह अनुचित था। ऐसे में यह कार्रवाई 100 फीसदी सही है।
उल्लेखनीय है कि कर्नाटक में चर्चा चल रही थी कि एक बड़ी संपत्ति वाले मंत्री हनीट्रैप में फंस गए हैं। हालांकि, राजन्ना ने आज विधानसभा में अपनी गलती स्वीकार कर ली। उन्होंने 48 अन्य नेताओं को हनीट्रैप में फंसाने का वीडियो होने का दावा कर राज्य की राजनीति में भूचाल ला दिया है। विधानसभा में सबसे पहले भाजपा विधायक सुनील कुमार ने हनीट्रैप का मुद्दा उठाया, जिसके बाद सदन में इस पर गहन चर्चा हुई। भाजपा विधायक बसनगावड़ा पाटिल ने भी यह मुद्दा उठाया और दावा किया कि सहकारिता मंत्री राजन्ना को भी इसमें फंसाया गया है। इसके बाद राजन्ना खड़े हुए और विधानसभा में जवाब देते हुए कहा कि कई लोग कहते हैं कि कर्नाटक सीडी की फैक्ट्री है। कई लोग यह भी दावा करते हैं कि केवल दो मंत्री ही फंसे हैं। लेकिन बात यहीं तक सीमित नहीं है। यहां तक कि राष्ट्रीय स्तर के नेताओं को भी हनीट्रैप में फंसाने का जाल बिछाया गया है। मैं इस मुद्दे पर लिखित शिकायत दर्ज कराऊंगा। इसमें लगभग 48 राज्य एवं राष्ट्रीय नेताओं के वीडियो हैं। मैं गृह मंत्री से आग्रह करूंगा कि इस मामले की जांच की जाए ताकि पता चल सके कि ऐसी साजिश कौन रच रहा है।