नई दिल्ली। भारतीय सेना जल्द ही स्वदेशी तोपों से लैस होगी। सरकार ने देश के रक्षा उत्पादन क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए 7,000 करोड़ रुपये के अनुबंधों को मंजूरी दी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीएस) ने गुरुवार, 20 मार्च को 307 स्थानीय स्तर पर निर्मित तोपों और टोइंग वाहनों के लिए 7,000 करोड़ रुपये के अनुबंध को मंजूरी दी।
सूत्रों के अनुसार, एटीएजीएस (एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन सिस्टम) अनुबंध में 327 टोइंग ट्रक भी शामिल हैं, जिससे मार्च के अंत तक अनुबंध पर हस्ताक्षर करने का रास्ता साफ हो गया है। 155 मिमी/52 कैलिबर की इस तोप की मारक क्षमता लगभग 48 किमी है। नई तोप की खरीद से भारत में आधुनिकीकरण को बढ़ावा मिलेगा और भारतीय सेना की तैयारियां भी बढ़ेंगी। सेना ने 2017 से 720 मिलियन डॉलर के अनुबंध के तहत 100 ऐसी तोपें शामिल की हैं, और उनमें से कई को पहाड़ों में संचालन के लिए सक्षम बनाने हेतु उन्नत करने के बाद लद्दाख सेक्टर में तैनात किया गया है। यह तोप मूलतः रेगिस्तानी इलाकों के लिए खरीदी गई थी।
डीआरडीओ ने 2013 में एडवांस्ड टॉड आर्टिलरी गन सिस्टम परियोजना शुरू की थी, जिसका उद्देश्य सेना की पुरानी तोपों को आधुनिक 155 एमएम आर्टिलरी गन सिस्टम से बदलना था। डीआरडीओ ने इस तोप के निर्माण के लिए दो निजी कंपनियों भारत फोर्ज और टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड के साथ समझौता किया है। यह ऑर्डर दोनों कंपनियों के बीच बांटा जाएगा। एटीएजीएस निविदा के लिए सबसे कम बोली लगाने वाली कंपनी भारत फोर्ज 60% तोपों का निर्माण और आपूर्ति करेगी। शेष 40 प्रतिशत तोप का निर्माण टीएएसएल (टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड) द्वारा किया जाएगा।