Sunday, March 16, 2025
Homeराष्ट्रीयपवन कल्याण ने तमिल नेताओं पर निशाना साधते हुए कहा- हिंदी में...

पवन कल्याण ने तमिल नेताओं पर निशाना साधते हुए कहा- हिंदी में फिल्में डब करते हो और फिर उसका विरोध करते हो

नई दिल्ली। केंद्र सरकार की राष्ट्रीय शिक्षा नीति में त्रिभाषा फार्मूले को लेकर तमिलनाडु में हंगामा मचा हुआ है। राज्य से हर दिन हिंदी के खिलाफ कोई न कोई बयान आ रहा है। मुख्यमंत्री स्टालिन स्वयं हिंदी विरोधी आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं।
तमिलनाडु में हिंदी विरोधी आंदोलन इस हद तक पहुंच गया है कि हाल ही में बजट लोगो से रुपये का देवनागरी प्रतीक हटा दिया गया और उसकी जगह तमिल वर्णमाला लगा दी गई। ऐसे में अब इस मामले पर अभिनेता और आंध्र प्रदेश के डिप्टी सीएम पवन कल्याण की प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने इस मामले पर तमिलनाडु सरकार के रुख पर सवाल उठाया है। जन सेना पार्टी के प्रमुख और आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण ने केंद्र के साथ भाषा विवाद को लेकर डीएमके की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि मुझे समझ में नहीं आता कि कुछ लोग संस्कृत की आलोचना क्यों करते हैं। तमिलनाडु के राजनेता हिंदी का विरोध क्यों करते हैं, जबकि वित्तीय लाभ के लिए अपनी फिल्मों को हिंदी में डब करने की अनुमति देते हैं? वे बॉलीवुड से पैसा मांगते हैं, लेकिन हिंदी स्वीकार करने से इनकार करते हैं। पवन कल्याण ने ये बातें जन सेना पार्टी के 12वें स्थापना दिवस समारोह के दौरान कहीं। डिप्टी सीएम ने कहा कि भारत में कई भाषाएं बोली जाती हैं। देश को दो प्रमुख भाषाओं के बजाय तमिल सहित कई भाषाओं की आवश्यकता है। इसलिए हमें भाषाई विविधता को स्वीकार करना होगा। इससे न केवल देश में एकता और अखंडता बढ़ेगी बल्कि हमारे लोगों में प्रेम और एकता भी बढ़ेगी। मुसलमान अरबी-उर्दू में प्रार्थना करते हैं, हिंदू संस्कृत में पूजा करते हैं। तो क्या आप उनसे तमिल या तेलुगु में भी प्रार्थना करने को कहेंगे?’
तेलुगू अभिनेता पवन कल्याण ने कहा कि तमिलनाडु राज्य हिंदी को क्यों अस्वीकार करता है? जबकि उत्तर प्रदेश, बिहार और छत्तीसगढ़ जैसे हिंदी भाषी क्षेत्रों के लोग तमिल फिल्में पसंद करते हैं। वे तमिल फिल्में हिन्दी में डब करके देखते हैं। किसी भी भाषा के प्रति शत्रुतापूर्ण रवैया रखना पूरी तरह से मूर्खतापूर्ण है। पवन कल्याण ने डीएमके नेताओं के हिंदी विरोधी रुख की आलोचना करते हुए कहा कि ये वास्तव में भ्रामक बातें हैं। उत्तर-दक्षिण विभाजन से आगे बढ़ें और एकता और अखंडता को प्राथमिकता दें। किसी चीज को तोड़ना आसान है, लेकिन उसे वापस जोड़ना बहुत कठिन है। इसलिए ऐसे राजनीतिक दलों को चुनें जो जनता के हित में काम करें।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments