गांधीनगर। पिछले डेढ़ दशक में गुजरात वन्यजीवन के लिए सबसे सुरक्षित राज्य बना है। प्रदेश में अलग-अलग प्रजातियों के जानवर रहते हैं। इसमें एशियाई शेर, नीलगाय, काला हिरण, तेंदुआ, भेड़िया, लकड़बग्घा, डॉल्फिन जैसे अनेक जीवों की आबादी 5.65 लाख से अधिक दर्ज की गई है। गुजरात में वर्ष 2020 में की गई वन्यजीव गणना के अनुसार एशियाई देशों की आबादी 674 से अधिक हैं। साल 2023 की गणना के अनुसार 2.24 लाख से अधिक नीलगाय, 2 लाख से अधिक बंदर, 1 लाख से अधिक जंगली सुअर और चीतल पाए गए हैं। इसके अलावा 9170 काले हिरण, 8221 सांभर, 6208 चिंकारा, 2299 सियार, 2274 तेंदुए और 222 भेड़िये हैं। जबकि वर्ष 2024 में की गई गणना के अनुसार राज्य में कुल 5.65 लाख से अधिक वन्य प्राणियों की आबादी दर्ज की गई है, जिनमें 7672 घड़ियाल, कोबरा, कॉमन करैत, सॉ-स्केल्ड वाइपर समेत 300 से अधिक विषैले सांप, 680 डॉल्फिन सहित प्रदेश में वन्यजीवों की आबादी 5.65 लाख से अधिक है।
प्रदेश के जंगलों में कई दुर्लभ और संवेदनशील जानवर पाए जाते हैं, जिनमें भारतीय भेड़िया भी शामिल है। हाल ही में वन विभाग और गुजरात पारिस्थितिक शिक्षा और अनुसंधान (गिर) फाउंडेशन द्वारा एक बड़ी पहल के तहत वर्ष 2023 में राज्य में भेड़िए की गणना की गई। राज्य के 13 जिलों में लगभग 222 भेड़ियों का पंजीकरण किया गया है। सबसे ज्यादा 80 भेड़िए भावनगर जिले में हैं। नर्मदा जिले में 39, बनासकांठा में 36, सुरेन्द्रनगर में 18, जामनगर और मोरबी में 12-12 तथा कच्छ जिले में 9 भेड़िये पाए गए हैं। इसके अलावा पोरबंदर, मेहसाणा, नवसारी, पाटन, अरावली और सूरत जिलों में भी भेड़ियों के होने का पता चला है।