अहमदाबाद। गुजरात में हाल ही में हुए स्थानीय निकाय चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को भारी जीत मिली है। इन चुनाव नतीजों में सबसे खास बात यह है कि भाजपा ने कांग्रेस के गढ़ में भी जीत हासिल की है। यह जीत न केवल संख्यात्मक बल्कि राजनीतिक दृष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण है।
चौंकाने वाली बात यह है कि गिर सोमनाथ के विधायक विमल चुडासमा को अपने ही निर्वाचन क्षेत्र चोरवड़ में भाजपा के एक साधारण कार्यकर्ता के खिलाफ हार का सामना करना पड़ा। इतना ही नहीं कांग्रेस चोरवड़ नगरपालिका भी हार गई, जो विमल चूडासमा का निर्वाचन क्षेत्र है। यह परिणाम कांग्रेस के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।
इसके अलावा कांग्रेस को अन्य मजबूत गढ़ों में भी हार का सामना करना पड़ा है। इसमें विधायक तुषार चौधरी का निर्वाचन क्षेत्र खेड़ब्रह्मा नगर पालिका और कांग्रेस विधायक दिनेश ठाकोर का निर्वाचन क्षेत्र चाणस्मा नगर पालिका और हारीज सीट शामिल हैं। भाजपा ने इन सभी नगर पालिकाओं और सीटों पर जीत हासिल की है।
इसके अलावा कांग्रेस विधायक अमित चावड़ा के निर्वाचन क्षेत्र अंकलाव नगर पालिका में भी कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा है। ये नतीजे बताते हैं कि भाजपा ने न केवल शहरी क्षेत्रों में, बल्कि ग्रामीण और पारंपरिक कांग्रेस क्षेत्रों में भी अपना प्रभाव बढ़ाया है। स्थानीय निकाय चुनावों में भाजपा की यह प्रचंड जीत कांग्रेस के लिए चिंता का विषय है, जबकि भाजपा के लिए यह जश्न का अवसर है। ये नतीजे गुजरात की राजनीति में नए समीकरण बनाएंगे।
तीन पाॅइंट में समझें चुनाव के नतीजे को
कांग्रेस के गढ़ में सेंध: भाजपा ने कांग्रेस के मजबूत माने जाने वाले क्षेत्रों में जीत हासिल करके कांग्रेस की नींव हिला दी है।
जनता का विश्वास: यह जीत दर्शाती है कि लोग अभी भी भाजपा पर भरोसा करते हैं और पार्टी की नीतियों और कार्यक्रमों का समर्थन करते हैं।
आगामी चुनावों के लिए संकेत: ये नतीजे आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनावों के लिए भाजपा के लिए सकारात्मक संकेत हैं।
स्थानीय निकाय चुनाव में 5000 उम्मीदवार मैदान में थे
स्थानीय निकाय चुनाव में 5775 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा और कुल 36 लाख 71 हजार 479 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया। राज्य में हुए नगर निगम और पंचायत चुनावों के दौरान कई मतदान केंद्रों पर मतदाताओं की लंबी कतारें भी देखी गईं।
इस बार स्थानीय निकाय चुनाव के लिए कुल 7036 नामांकन पत्र दाखिल किए गए थे, जिनमें से 1261 नामांकन पत्र अवैध घोषित कर दिए गए, जबकि 5775 उम्मीदवारों की उम्मीदवारी बरकरार रही। जिसके बाद 478 उम्मीदवारों ने अपने नामांकन पत्र वापस ले लिए और 213 सीटें निर्विरोध हो गईं। कुल 5,084 उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतरे थे।