नई दिल्ली। देश का पहला वर्टिकल लिफ्ट-अप ब्रिज बनकर तैयार हो गया है। भारत के पवित्र तीर्थस्थल को रामेश्वरम से रेल द्वारा जोड़ने वाले पंबन ब्रिज का पुनर्निर्माण पूरा हो गया है। इससे भारत चीन की गतिविधियों पर कड़ी नजर रख सकेगा। चीन श्रीलंका के हंबनटोटा में कुछ बुनियादी ढांचे का निर्माण कर रहा है। इसलिए पंबन ब्रिज के पूरा होने से अब हंबनटोटा में चीन की गतिविधियों पर नजर रखना संभव हो सकेगा।
पंबन ब्रिज के निर्माण का काम 1870 में शुरू हुआ था, लेकिन इसे 1914 में ब्रिटिश शासन के दौरान चालू किया गया था। हालांकि, कुछ हिस्सों के खराब होने और उनमें खराबी आने के कारण इस रेल पुल को 2022 में मरम्मत के लिए बंद कर दिया गया था। अब इसकी पूरी मरम्मत हो चुकी है। जिससे एक बार फिर रामेश्वरम आने वाले श्रद्धालु और आगंतुक ट्रेन से यात्रा कर सकेंगे। नवनिर्मित पुल अगले 100 वर्षों तक सुरक्षित रहेगा।
दिसंबर 2022 से पंबन ब्रिज को पूरी तरह बंद कर दिए जाने के बाद रामेश्वरम जाने वाली ट्रेनों को रोक दिया गया था। रामेश्वरम और धनुषकोडी जैसे ऐतिहासिक स्थलों की यात्रा के लिए प्रतिदिन 20 ट्रेनें चलाई जा रही थी। प्रतिदिन 9,000 से अधिक पर्यटक रेलगाड़ी से यात्रा करते थे। 1988 तक मंडपम और रामेश्वरम के बीच एकमात्र रेल संपर्क पंबन ब्रिज था। बाद में, पुल के पास अन्नाई इंदिरा गांधी रोड ब्रिज नामक एक सड़क पुल का निर्माण किया गया। मंडपम रामेश्वरम से 20 किमी दूर है। इसके अतिरिक्त, रामेश्वरम में अत्यधिक तेज हवाओं का आकलन करने के लिए एक सिग्नल भी स्थापित किया गया है। पवन गति संकेत 50 किमी प्रति घंटे से अधिक की गति से चलने वाली हवाओं के बारे में जानकारी देगा, जिससे ट्रेन तुरंत रुक जाएगी। इस पुल की लंबाई 2.2 किमी है। जो कि समृद्ध तट से 22 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।