कोलकाता। आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में महिला प्रशिक्षु डॉक्टर के दुष्कर्म और हत्या मामले के आरोपी संजय रॉय को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। यानी उसे मृत्यु तक कारावास की सजा सुनाई गई है। 19 जनवरी को अदालत ने उसे इस मामले में दोषी पाया था। अदालत ने पीड़ित परिवार को मुआवजा देने का भी आदेश दिया है। पीड़िता के माता-पिता ने पहले की तरह मुआवजा लेने से इनकार कर दिया है।
सीबीआई के वकील ने इस मामले को दुर्लभतम मामला बताया और आरोपियों के लिए मृत्युदंड की मांग की थी। जिसका आरोपी के वकील ने कड़ा विरोध किया। दोनों पक्षों की दलीलों के बाद न्यायाधीश अनरिमन दास ने अभियुक्त को मृत्युदंड की सजा नहीं दी, क्योंकि उन्हें लगा कि यह मामला दुर्लभतम मामलों में से नहीं था। सीबीआई ने अदालत में कई महत्वपूर्ण साक्ष्य पेश किए, जिनमें स्थान और सीसीटीवी फुटेज शामिल थे, जो आरोपी संजय रॉय को दोषी ठहराने में महत्वपूर्ण सबूत थे। न्यायाधीश ने कहा कि पीड़ित परिवार इस मामले में कोई मुआवजा नहीं चाहता है।
सजा सुनाने से पहले न्यायाधीश ने संजय रॉय से पूछा कि तुम्हारे खिलाफ बलात्कार और हत्या के सभी आरोप साबित हो गए हैं। संभावित सजा के बारे में आप क्या कहेंगे? इस पर संजय ने कहा कि मुझे गलत तरीके से फंसाया गया है। मैं हमेशा रुद्राक्ष की माला पहनता हूं। अगर मैंने कोई अपराध किया होता तो मेरा माला अपराध स्थल पर ही टूट जाता। मुझे बोलने की अनुमति नहीं दी गई। कई बार कागजात पर जबरन हस्ताक्षर करवाए गए हैं। पीड़ित परिवार ने आरोपी संजय रॉय के लिए कड़ी से कड़ी देेने सजा की मांग की। सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी इस मामले में कहा था कि वह मृत्युदंड के बजाय वैकल्पिक सजा देने पर विचार कर सकता है।