ढाका। बांग्लादेश सरकार ने एक बार फिर हिंदुओं पर हो रहे हमलों को नजरअंदाज करने की कोशिश की है। बांग्लादेशी सरकार ने हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमलों को राजनीति से प्रेरित बताया है। पुलिस रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा गया कि ये हमले सांप्रदायिक नहीं थे। बांग्लादेश पुलिस ने हिंदू अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के संपर्क में रहने और सांप्रदायिक हिंसा की सीधी शिकायत भेजने के लिए एक व्हाट्सएप नंबर शुरू किया है। अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस के प्रेस कार्यालय ने एक बयान जारी कर यह जानकारी दी।
यूनुस सरकार के बयान में कहा गया है कि पुलिस ने यह जांच बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई एकता परिषद द्वारा किए गए दावे के बाद की। दावे के अनुसार, पिछले साल 5 अगस्त को आरक्षण विरोधी आंदोलन के दौरान शेख हसीना के देश छोड़कर भागने के दिन से लेकर इस साल 8 जनवरी तक सांप्रदायिक हिंसा की 2,010 घटनाएं हुईं। इन घटनाओं में से 1,769 हमले और तोड़फोड़ से संबंधित थीं और पुलिस ने अब तक दावों के आधार पर कुल 62 मामले दर्ज किए हैं और जांच के आधार पर कम से कम 35 आरोपियों को गिरफ्तार किया है।
हालांकि, बयान में दावा किया गया है कि जांच से पता चलता है कि ज्यादातर मामलों में हमले सांप्रदायिक प्रकृति के नहीं थे, बल्कि राजनीति से प्रेरित थे। इसमें कहा गया है कि पुलिस जांच में पाया गया है कि 1,234 घटनाएं राजनीतिक थीं। जबकि 20 घटनाएं सांप्रदायिक थीं और कम से कम 161 दावे झूठे या मनगढ़ंत थे। बयान के अनुसार, परिषद का दावा है कि 1,452 घटनाएं (कुल घटनाओं का 82.8 प्रतिशत) तब हुईं जब 5 अगस्त 2024 को हसीना सरकार को सत्ता से हटा दिया गया। 4 अगस्त को कम से कम 65 घटनाएं हुईं और 6 अगस्त को 70 घटनाएं हुईं।
बांग्लादेश में हिंदुओं पर हिंसा की घटनाएं सांप्रदायिक नहीं, यूनुस सरकार ने राजनीतिक बताकर पल्ला झाड़ा
RELATED ARTICLES